साल 2015 के दो सितंबर को दुनिया भर में एक तस्वीर ने तहलका मचा दिया था. तुर्की के समुद्री तट पर एक सीरियाई बच्चे का शव बहता हुआ पहुंचा था. उस बच्चे का ही नाम था एलन कुर्दी. वायरल हुई इस तस्वीर ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था. अब एलन कुर्दी एक बार फिर से चर्चा में है. वो इसलिए क्योंकि उसके दोषियों को अदालत ने सजा सुनायी है. तुर्की की एक अदालत ने पांच साल पहले हुई सीरियाई शरणार्थी एलन कुर्दी की मौत के मामले में तीन लोगों को सजा सुनाई है. मानव तस्करी के आरोप में तीनों आरोपियों को 125 साल की जेल की सजा दी गई है. बताया जा रहा है इन आरोपियों को इसी हफ्ते गिरफ्तार किया गया था. 2015 के अंत के माह में एलन कुर्दी नाम के तीन साल बच्चे की ये फोटो सीरिया में चल रही तबाही का चेहरा बन गया. एलन कुर्दी उन करोड़ों लोगों में से एक था, जो सीरिया के भयानक गृह युद्ध से जान बचाने के लिए देश छोड़कर भाग रहे थे. एलन की तस्वीर ने सीरिया में चल रहे गृहयुद्ध का सबसे भयावह चेहरा दुनिया के सामने रख दिया था.
इराक में रहने वाली एलन की आंटी तीमा कुर्दी ने कहा कि पांच साल बाद ये केस खत्म हुआ. उन्होंने कहा कि मैं इस मामले में खुद को दोषी मानती हूं. क्योंकि मानव तस्करों को पैसे मैने ही दिए थे कि वो किसी तरह से मेरे भाई व उसके परिवार को सीरिया से सकुशल समंदर पार करा ले आए. यह मेरी जिंदगी का सबसे बुरा फैसला साबित हुए. कनाडा में रहने वाली तीमा कुर्दी ने कहा कि तब मैं गलत नहीं थी क्योंकि मैं अपने परिवार को देश में फैले हिंसा से बचाना चाहती थी, लेकिन मेरी किस्मत में शायद ऐसा नहीं लिखा था. तीमा कुर्दी दो साल पहले एक किताब भी लिखी थी जिसका शिर्षक था द बॉय ऑन द बीच. इस किताब में शरणार्थियों की कहानी है और उसमें प्रमुख से एलन कुर्दी वाली घटना का जिक्र है. कुर्दी ने इस संस्मरण में उस वक्त को याद किया है जब वो इंतजार कर रही थीं कि उनके छोटे भाई अब्दुल्ला कुर्दी यानी एलन कुर्दी के पिता जल्द ये खबर दें कि उन्होंने सकुशल अपने परिवार के साथ सकुशल समंदर पार कर लिया है लेकिन अगली खबर उन्हें खबरों से मिली थी, जिसमें उन्होंने अपने तीन साल के भतीजे के शव को देखा.
उन्हें इस सदमे और गुस्से से उबरने में काफी वक्त लगा. एलन कुर्दी का परिवार उस वक्त सीरिया के गृहयुद्ध से भागकर ग्रीस जा रहा था लेकिन समंदर में स्मगलरों ने हमला किया और उनकी नाव बह गई, इसमें एलन के साथ उसका भाई गालिब और मां की डूबने से मौत हो गई. तीमा कुर्दी ने इस किताब में अपने परिवार के इस हृदयविदारक कहानी से जोड़कर सीरिया के अच्छे दिनों के बारूद और खून में डूब जाने की कहानी सुनाई है. उन्होंने वर्तमान हालातों की भी बात की है. उन्होंने इस मुद्दे पर भी बात की है कि कैसे हिंसा से पीड़ित करोड़ों लोग शरणार्थी बन गए हैं. बता दें कि कुर्दी का परिवार सीरियाई गृहयुद्ध से बचने के लिए 2 सितंबर 2015 को एक नौका में तुर्की से ग्रीस जाने की कोशिश कर रहा था, पर नौका डूबने से मौत हो गई थी.