वाशिंगटन : अमेरिकी संसद की वर्चुअल ब्रीफिंग के दौरान विशेषज्ञों की एक टीम ने भारत में ‘धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा’ पर चिंता जताते हुए अमेरिका सरकार से अपील की है कि वह अमेरिका अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की सिफारिशों को लागू करे. अमेरिकी आयोग ने पिछले महीने विदेश मंत्रालय से भारत समेत 14 देशों को ‘खास चिंता वाले देशों’ (सीपीसी) के रूप में नामित करने की सिफारिश की थी और आरोप लगाया था कि इन देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं.
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यूएससीआईआरएफ की ओर से जिन 13 अन्य देशों को सीपीसी के रूप में नामित करने की सिफारिश की गयी थी, उनमें म्यांमा, चीन, एरिट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, नाईजीरिया, रूस, सीरिया और वियतनाम शामिल हैं. भारत ने अमेरिकी आयोग की आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा था कि अल्पसंख्यकों की दशा पर उसकी टिप्पणियां पूर्वाग्रह से ग्रसित और पक्षपातपूर्ण हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘हम यूएससीआईआरएफ की सालाना रिपोर्ट में भारत को लेकर की गयी टिप्पणियों को खारिज करते हैं. भारत के खिलाफ उसके ये पूर्वाग्रह वाले और पक्षपातपूर्ण बयान नये नहीं हैं, लेकिन इस मौके पर उसकी गलत बयानी नये स्तर पर पहुंच गयी है.
भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम परिषद (आईएएमसी) ने बीते गुरुवार को ‘यूएससीआईआरएफ की भारत को लेकर सिफारिशें-अगले कदम’ शीर्षक से संसद की एक वर्चुअल ब्रीफिंग आयोजित की, जिसे आमंत्रित विशेषज्ञों के एक पैनल ने संबोधित किया. आईएएमसी ने शुक्रवार को अपने एक बयान में कहा कि यूएससीआईआरएफ की उपाध्यक्ष नादिने माएंजा ने ‘देश के कुछ हिस्सों में मुसलमानों के सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार के साथ-साथ वैश्विक महामारी के दौरान चिकित्सकीय उपचार के संदर्भ में उनके खिलाफ भेदभाव को लेकर’ सचेत किया था.
यूएससीआईआरएफ में दक्षिण एशिया संबंधी नीति के विश्लेषक डॉ हैरिसन अकिन्स ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भाजपा ‘ हिंदूवादी प्रतीकों और सुरक्षा के लिए बनायी नीतियों का इस्तेमाल अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ हथियारों की तरह कर रही है, ताकि धार्मिक अल्पसंख्यकों को और हाशिए पर ले जाया जा सके तथा एक हिंदू राष्ट्र को आकार दिया जा सके.
एमनेस्टी इंटरनेशनल अमेरिका के एशिया पैसिफिक एडवोकेसी मैनेजर फ्रांसिस्को बेनकोस्मे ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों को हिरासत में लिए जाने पर चिंता जतायी. उन्होंने नयी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों को लेकर गिरफ्तार की गयी गर्भवती छात्रा सफूरा जरगर का जिक्र किया. उन्होंने आरोप लगाया कि जब दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है, तब भारत ने फैसला किया है कि अब धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करने का समय है. यह कार्यक्रम ‘इंटरनेशनल क्रिश्चियन कन्सर्न और ‘‘हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ के सहयोग से आयोजित किया गया.