पाकिस्तानी पत्रकार ने आगे पूछा, “विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के पास दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने की शक्ति और अधिकार है, तो आप मध्यस्थता क्यों नहीं करते? इस पर जवाब देते हुए प्राइस ने कहा, “क्योंकि ये फैसले देश खुद लेते हैं. अगर वे अमेरिका की किसी विशेष भूमिका के लिए सहमत होते हैं, तो अमेरिका दोनों देशों के सहयोगी के तौर पर उस प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए तैयार है जो वह जिम्मेदारी के साथ कर सकता है. लेकिन अमेरिका ये फैसला नहीं कर सकता है कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे से किस तरह से बातचीत करें. हम जो कर सकते हैं, वो है रचनात्मक बातचीत का समर्थन. हम लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों को हल करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच रचनात्मक बातचीत और सार्थक कूटनीति का समर्थन करते हैं.”
पाकिस्तान के ARY News के पत्रकार जहांजैब अली ने अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस से पूछा कि, “पाकिस्तान ने कई बार भारत के साथ शांति वार्ता करने की पेशकश की है. लेकिन भारत सरकार इससे बचने की कोशिश करती है. इसलिए जब आप भारतीय अधिकारियों के साथ बातचीत करते हैं तो वे क्या कारण बताते हैं? भारत लंबित मुद्दों पर पाकिस्तान से क्यों बात नहीं करना चाहता है?
इस पर जवाब देते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, “मैं उस मैसेज पर बात करूंगा जो हमने भारत और पाकिस्तान दोनों को भेजा है. हम रचनात्मक बातचीत का समर्थन करते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच चले रहे आ रहे पुराने विवादों को हल करने के लिए हम कूटनीति का समर्थन करते हैं. हम दोनों देशों के साथ साझेदारी रखते हैं. एक पार्टनर देश के रूप हम उस प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए तैयार हैं जो उन्हें उचित लगे. लेकिन अंततः यह निर्णय भारत और पाकिस्तान को खुद लेने होंगे.”
अगले सवाल के तौर पर पाकिस्तानी पत्रकार ने पूछा, “विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के पास दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने की शक्ति और अधिकार है, तो आप मध्यस्थता क्यों नहीं करते? इस पर जवाब देते हुए प्राइस ने कहा, “क्योंकि ये फैसले देश खुद लेते हैं. अगर वे अमेरिका की किसी विशेष भूमिका के लिए सहमत होते हैं, तो अमेरिका दोनों देशों के सहयोगी के तौर पर उस प्रक्रिया का समर्थन करने के लिए तैयार है जो वह जिम्मेदारी के साथ कर सकता है. लेकिन अमेरिका ये फैसला नहीं कर सकता है कि भारत और पाकिस्तान एक-दूसरे से किस तरह से बातचीत करें. हम जो कर सकते हैं, वो है रचनात्मक बातचीत का समर्थन. हम लंबे समय से चले आ रहे संघर्षों को हल करने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच रचनात्मक बातचीत और सार्थक कूटनीति का समर्थन करते हैं.”
आपको बताएं कि, अमेरिका की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान ने भारत में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के मुख्य न्यायाधीशों की बैठक में आने से इनकार कर दिया है. यह बैठक 10 से 12 मार्च तक नई दिल्ली में होगी. जिसे लेकर पकिस्तान ने खेद भी प्रकट किया है.