पाकिस्तान ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा, ‘हम भारत समेत अपने सभी पड़ोसियों देशों के साथ शांति चाहते हैं. हालांकि दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और स्थिरता जम्मू और कश्मीर विवाद के न्यायसंगत और स्थायी समाधान पर निर्भर है.
शहबाज शरीफ ने कहा कि मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि भारत इस संदेश को समझे कि दोनों देश एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासभा में उच्च स्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा 5 अगस्त 2019 को भारत ने एकतरफा और मनमाने ढंग से फैसला लेते हुए अनुच्छेद 370 के जरिये जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया. इसके कारण शांति की उम्मीदें धूमिल हुईं और क्षेत्रीय तनाव बढ़ गया. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत के साथ युद्ध कोई विकल्प नहीं है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को यूएनजीए का 77वां सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को रचनात्मक जुड़ाव के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लिए विश्वसनीय कदम उठाना चाहिए. हम पड़ोसी हैं और हम हमेशा के लिए हैं, चुनाव हमें करना है कि हम शांति से रहें या एक-दूसरे से लड़ते रहें.”
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शहबाज शरीफ ने कहा कि 1947 के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तीन युद्ध हुए और परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों में केवल दुख, गरीबी और बेरोजगारी बढ़ी, लेकिन अब यह हम पर निर्भर है कि हम अपने मतभेदों, अपनी समस्याओं और अपने मुद्दों को शांतिपूर्ण बातचीत और चर्चा के माध्यम से सुलझाएं.
उन्होंने कहा कि इस साल अप्रैल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने शहबाज शरीफ कई बार कश्मीर का मुद्दा उठा चुके हैं और भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंधों की अपील भी कर चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें सत्र में उनकी टिप्पणी भारत द्वारा कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो पर निशाना साधने के दो दिन बाद आई है.
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संयुक्त राष्ट्र में बिलावल भुट्टो ने यह भी दावा किया कि भारत एक हिंदू वर्चस्ववादी राज्य में बदल रहा है. कश्मीर पर पाकिस्तानी विदेश मंत्री की टिप्पणी की निंदा करते हुए, भारत के संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक संयुक्त सचिव श्रीनिवास गोटरू ने बुधवार को कहा कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश “हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा थे, चाहे कुछ भी हो. गोटरू ने कहा, हम पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को रोकने का आह्वान करते हैं, ताकि हमारे नागरिक अपने जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का प्रयोग कर सकें. हमें उम्मीद है कि वे इस तरह की बैठकों का दुरुपयोग और राजनीतिकरण करने के प्रयासों से दूर रहेंगे.