Russia Ukraine Crisis: यूक्रेन में किराये की कोख से पैदा बच्चों को अपने मां-बाप का इंतजार
यूक्रेन में सरोगेसी उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है. यह उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जो विदेशी जोड़ों के लिए सरोगेसी की सेवा उपलब्ध कराते हैं. देश में किराये की कोख से जन्मे ज्यादातर बच्चों के माता-पिता यूरोप, लातिन अमेरिका और चीन में रहते हैं.
Russia Ukraine Crisis: कीव: यूक्रेन की राजधानी कीव में एक बम रोधी आश्रय स्थल में किराये की कोख से जन्मे कम से कम 20 बच्चे अपने विदेशी माता-पिता के युद्धग्रस्त देश में आने और उन्हें लेजाने का इंतजार कर रहे हैं. कुछ दिन पहले जन्मे इन बच्चों की अच्छी देखभाल हो रही है, लेकिन बेसमेंट में रहने के बावजूद उन्हें समय-समय पर होने वाली गोलाबारी की आवाज साफ सुनाई देती है.
आश्रय स्थल में ही रहती हैं नर्सें
सरोगेसी केंद्रों की कई नर्सें भी आश्रय स्थल में ही रह रही हैं, क्योंकि उनके लिए रोजाना घर जाना-आना बहुत खतरनाक है. कीव पर कब्जे की कोशिशों में जुटे रूसी बलों को यूक्रेनी जवान कड़ी टक्कर दे रहे हैं. 51 वर्षीय नर्स ल्युदमिलिया यशेंको ने कहा, ‘हम यहां अपनी और बच्चों की जिंदगी की रक्षा के लिए रह रहे हैं. हम लगातार जारी बमबारी से बचने के लिए यहां सिर छिपा रहे हैं.’
नहीं के बराबर नींद ले रही नर्सें
यशेंको के मुताबिक, वह ताजा हवा में सांस लेने के लिए कुछ समय के लिए आश्रय स्थल से जरूर निकलती हैं, लेकिन ज्यादा देर तक बाहर रहने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं. वह अपने दोनों बेटों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, जो मुल्क की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं. यशेंको ने कहा, ‘हम न के बराबर नींद ले रहे हैं. हम दिन-रात काम कर रहे हैं.’
यूक्रेन में तेजी से फल-फूल रहा सरोगेसी उद्योग
यूक्रेन में सरोगेसी उद्योग तेजी से फल-फूल रहा है. यह उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जो विदेशी जोड़ों के लिए सरोगेसी की सेवा उपलब्ध कराते हैं. देश में किराये की कोख से जन्मे ज्यादातर बच्चों के माता-पिता यूरोप, लातिन अमेरिका और चीन में रहते हैं.
कितने माता-पिता बच्चों को लेने आये, किसी ने नहीं बताया
यशेंको ने यह नहीं बताया कि कितने मां-बाप अपने बच्चों को ले जाने आये हैं, कितने बच्चों को अभी भी अपने माता-पिता के आने का इंतजार है और कितनी सरोगेट मांओं का हाल-फिलहाल में प्रसव होना है. उन्होंने कहा कि आश्रय स्थल में खाने और बच्चों से जुड़ी सामग्री पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के बावजूद उन्हें इन बच्चों के माता-पिता के यूक्रेन आकर उन्हें साथ ले जाने का इंतजार है.
Posted By: Mithilesh Jha