चीन में तीन बच्चे पैदा करने पर 11.50 लाख रुपये का बेबी बोनस और एक साल की छुट्टी, ये है वजह…

चीन की सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कई सालों तक सिंगल चाइल्ड की पाॅलिसी को अपनाया था जिसकी वजह से वहां बूढ़ों की संख्या बढ़ती जा रही है और युवाओं की घटती जा रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 30, 2022 10:40 PM
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चीन में सरकार की कम बच्चा पैदा करने की नीति की वजह से वहां की जनसंख्या में लगातार कमी आ रही है और युवाओं की संख्या घटती जा रही है जिसकी वजह से वहां वर्कफोर्स का संकट पैदा हो गया है. इस स्थिति से बचने के वहां कई कंपनियां बच्चा पैदा करने वाले लोगों की आकर्षक आफर दे रही है.

बूढ़ों की जनसंख्या बढ़ने से सामने आयी समस्या

चीन की सरकार ने जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कई सालों तक सिंगल चाइल्ड की पाॅलिसी को अपनाया था जिसकी वजह से वहां बूढ़ों की संख्या बढ़ती जा रही है और युवाओं की घटती जा रही है. इस समस्या से बचने के लिए चीन की एक कंपनी के अपने कर्मचारियों को तीसरा बच्चा पैदा करने के लिए 11.50 लाख रुपये का बोनस दे रही है साथ ही एक साल की छुट्टी भी.

बेबी बोनस और पेड लीव की सुविधा भी मिली

आजतक ने चीन के अखबार नेशनल बिजनेस डेली के हवाले से यह जानकारी दी है कि चीन में सरकार बेबी बोनस, पेड लीव, टैक्स छूट, बच्चों को पालने के लिए सब्सिडी जैसे लाभ अधिक बच्चा पैदा करने वालों को दे रही है ताकि देश में जनसंख्या का जो असंतुलन पैदा हुआ है उसे नियंत्रित किया जा सके.चीन की सरकार पहले और दूसरे बच्चे के लिए बोनस और लीव जैसी सुविधा दे रही है.

टेक कंपनी दे रही है तीसरे बच्चे परआकर्षक ऑफर

चीन की टेक कंपनी बीजिंग टेक्नोलाॅजी ग्रुप ने कर्मचारियों को बंपर ऑफर दिया है, जिसके अनुसार 90 हजार युआन यानी 11.50 लाख रुपये और एक साल की लीव शामिल है. एक साल का लीव महिलाओंके लिए है जबकि पुरुषों को नौ महीने तक की छुट्टी मिल रही है. वहीं पहले और दूसरे बच्चे के लिए 3.54 लाख रुपये दिये जा रहे हैं.

1979 में लागू किया गया था वन चाइल्ड पॉलिसी

चीन में जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गयी है और यहां 0.53 प्रतिशत की दर से आबादी बढ़ रही है. इसकी बड़ी वजह चीन की विवादास्पद वन चाइल्ड पॉलिसी है. चीन की सरकार ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए इस नीति को साल 1979 में लागू किया गया था. इस नीति के लागू होने के बाद जिन परिवारों ने नियमों का उल्लंघन किया, उन्हें जुर्माना भरना पड़ा, नौकरी से हाथ धोना पड़ा और कइयों को गर्भपात भी कराना पड़ा. जनसंख्या पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव के बाद इसे 2016 में चीन की सरकार ने समाप्त किया था.

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