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Bangladesh News: दरगाह में चला बुलडोजर, जमकर की गई तोड़फोड़

Bangladesh News: बांग्लादेश की राजधानी ढाका के धामराई में दरगाह में तोड़फोड़ की गई है. अचानक हुए हमले से स्थानीय लोग नाराज हो गए. जानें क्या है पूरा मामला

Bangladesh News: बांग्लादेश की राजधानी ढाका के धामराई के बटुलिया क्षेत्र में एक धर्मस्थल पर हमला किया गया है. यहां तोड़फोड़ की घटना घटी. दरअसल, यह एक दरगाह है जिसे आध्यात्मिक रहस्यवादी बुचाई पगला के नाम से जाना जाता है. दावा किया जा रहा है कि स्थानीय मदरसों के छात्रों और शिक्षकों, इमामों और विद्वानों ने दरगाह को नष्ट कर दिया, क्योंकि वहां इस्लाम विरोधी गतिविधियां हो रहीं थीं. यहां नशीली दवाओं का व्यापक उपयोग किया जा रहा था. हालांकि, स्थानीय लोगों ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा कि दरगाह पर कोई अवैध गतिविधि नहीं होती थी. इस संबंध में खबर Dhaka Tribune ने प्रकाशित की है.

लोगों ने कहा कि दरगाह से जो पैसे आते थे उसका उपयोग मस्जिद के रख-रखाव, मदरसों को वित्तीय सहायता प्रदान करने और जरूरतमंदों की सहायता के लिए किया जाता था. दरगाह पर हुए हमले से स्थनीय लोगों में गहरा रोष है. घटना बुधवार को सनोरा यूनियन के बटुलिया इलाके में कलामपुर-सतुरिया क्षेत्रीय सड़क के किनारे हुई. करीब दो घंटे तक चले इस हमले और तोड़फोड़ में 500 से ज्यादा लोग शामिल थे. खुदाई करने वाली मशीन (बुलडोजर) का इस्तेमाल करके इसकी इमारत को ध्वस्त कर दिया गया. दोपहर करीब 2:30 बजे सेना और स्थानीय प्रशासन पहुंचा और हमलावरों से बातचीत करके स्थिति को शांत किया.

दरगाह में की गई लूटपाट

दरगाह के एक कमरे की तीन दीवारें ध्वस्त कर दी गई. इमारत के चारों ओर की चारदीवारी भी नष्ट कर दी गई. छत पर बने पांच गुंबदों में से तीन को तोड़ दिया गया. पास के एक टिन की संरचना को तोड़ दिया गया और अंदर मौजूद सभी चीज़ों को लूट लिया गया. पास में ही एक और टिन की संरचना को भी नष्ट कर दिया गया और वहां आने वाले लोगों के आराम के लिए बनाई गई एक अर्ध-कंक्रीट की इमारत को तोड़ दिया गया और लूट लिया गया.

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मदरसों के शिक्षक, छात्र और इमाम ने किया हमला

स्थानीय लोगों के अनुसार, बुचाई पगला बटुलिया के निवासी थे. उन्होंने छोटी उम्र में ही अपना मानसिक संतुलन खो दिया था, लेकिन अपनी आध्यात्मिक शक्तियों के कारण वे बहुत से अनुयायियों को आकर्षित करते थे. 1980 के दशक में एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई, और बटुलिया रोड के पास उनकी कब्र के पास उनकी समाधि स्थापित की गई. मंदिर में वार्षिक मेला और उत्सव आयोजित किया जाता था, जिसमें दूर-दूर से हजारों लोग आते थे. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से दरगाह को गिराने की चर्चा सुनने को मिल रही थी. नतीजतन, इस्लामपुर, कलमपुर और कुशूरा जैसे इलाकों के मदरसों के शिक्षक, छात्र और इमाम इकट्ठा हुए और दरगाह पर हमला कर दिया.

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