बांग्लादेश में सियासी संघर्ष तेज, ढाका में आज शेख हसीना समर्थकों का विरोध प्रदर्शन

Bangladesh Political Conflict: अवामी लीग ने इस रैली का आह्वान पिछले महीने हुए उस निर्णय के विरोध में किया है जिसमें मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पार्टी की छात्र शाखा पर प्रतिबंध लगा दिया था.

By Aman Kumar Pandey | November 10, 2024 8:26 AM

Bangladesh Political conflict: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने के 3 महीने बाद, उनकी पार्टी अवामी लीग ने आज रविवार को ढाका में एक बड़ी विरोध रैली का आयोजन किया है. अगस्त में छात्रों के विरोध के बाद से अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर बढ़ते हमलों के बीच, पार्टी का अधिकतर शीर्ष नेतृत्व या तो जेल में है या निर्वासन में, और पार्टी पुनर्गठित होकर फिर से मजबूती पाने की कोशिश में है.

अवामी लीग ने इस रैली का आह्वान पिछले महीने हुए उस निर्णय के विरोध में किया है जिसमें मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पार्टी की छात्र शाखा पर प्रतिबंध लगा दिया था. यूनुस की अंतरिम सरकार ने अवामी लीग को “फासिस्ट” करार दिया है और उस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की है. पार्टी ने अपने बयान में कहा है कि यह विरोध “देश के लोगों के अधिकारों को छीनने, कट्टरपंथी ताकतों के उदय और आम लोगों के जीवन में हस्तक्षेप के खिलाफ” है.

अंतरिम सरकार ने अवामी लीग को किसी भी प्रकार के विरोध प्रदर्शन से सख्त रूप से मना किया है. शनिवार को यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने कहा कि अवामी लीग “फासिस्ट पार्टी” है और इसे बांग्लादेश में विरोध करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उनका कहना था कि शेख हसीना के आदेश पर रैलियां निकालने वालों के खिलाफ कानूनी एजेंसियां कठोर कार्रवाई करेंगी. कुछ समय पहले, अंतरिम सरकार ने अवामी लीग के स्टूडेंट विंग “स्टूडेंट लीग” पर भी आतंकवाद विरोधी कानून के तहत प्रतिबंध लगा दिया था, यह दावा करते हुए कि संगठन की गतिविधियां सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

इस साल जून में, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में हुए कोटा सुधार आंदोलन के बाद बनाए गए सरकारी फैसले को पलटते हुए स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए 30 प्रतिशत कोटा फिर से बहाल कर दिया. इस कदम से छात्रों में असंतोष फैल गया, क्योंकि उन्हें लगा कि इस कोटा प्रणाली के चलते योग्यता के आधार पर उनके अवसर कम हो जाएंगे. यह विरोध पहले सरकारी नौकरियों में पुनर्स्थापित कोटा प्रणाली के खिलाफ शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही यह हिंसक रूप लेने लगा. स्थिति इतनी बिगड़ गई कि 5 अगस्त को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर जाना पड़ा.

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