Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में शेख हसीना के इस्तीफा देने और ढाका से भाग जाने के बाद भी प्रदर्शनकारी लगातार हिंसा कर रहे हैं. तोड़-फोड़ और आगजनी की कई तस्वीरें बांग्लादेश से आ रही हैं. हसीना के ढाका छोड़ने के बाद 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. इधर खबर आ रही है कि होटल में करीब 24 लोगों को जिंदा जला दिया गया है.
हिंसा से परेशान हैं भारत में रह रहे बांग्लादेशी छात्र
बांग्लादेश में जारी हिंसा से भारत में पढ़ाई कर रहे वहां के छात्र परेशान हैं. उन्हें अपनों की चिंता सता रही है. उनके कोई संपर्क स्थापित नहीं हो पा रहा है. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले बांग्लादेश के छात्र अंतुर घोष ने कहा, नेटवर्क कनेक्शन डाउन होने के कारण मैं अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहा हूं. मैं अपने परिवार के बारे में बहुत चिंतित हूं. हमें कैंपस में कोई समस्या नहीं आ रही है, लेकिन मैं अपने परिवार के बारे में चिंतित हूं. बांग्लादेश के एक छात्र विद्युत ने कहा, हिंसा बहुत तेजी से फैल रही है. मैं अपने परिवार से संपर्क नहीं कर पा रहा हूं क्योंकि विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से कोई नेटवर्क नहीं है. मैं अपने परिवार के बारे में बहुत चिंतित हूं. मैं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का हमारा समर्थन करने के लिए आभारी हूं.
अवामी लीग के नेता के होटल में कम से कम 24 लोगों को जिंदा जलाया गया
बांग्लादेश में एक इंडोनेशियाई नागरिक सहित कम से कम 24 लोगों को भीड़ ने अवामी लीग पार्टी के एक नेता के स्वामित्व वाले एक होटल में जिंदा जला दिया. यह घटना उस समय हुई जब पार्टी की नेता शेख हसीना प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद देश छोड़कर चली गईं हैं. सोमवार देर रात भीड़ ने जोशोर जिले में जिला अवामी लीग के महासचिव शाहीन चक्कलदर के स्वामित्व वाले जाबिर इंटरनेशनल होटल में आग लगा दी, जिसमें 24 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई. इस घटना में मरने वाले ज्यादातर होटल में ठहरे लोग थे. बांग्लादेशी मीडिया के अनुसार मृतकों में एक इंडोनेशियाई नागरिक भी शामिल है. जीवित बचे होटल कर्मचारियों को डर है कि मलबे में और भी शव हो सकते हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अवामी लीग सरकार का विरोध करने वाली उग्र भीड़ ने होटल के भूतल पर आग लगा दी और यह शीघ्र ही ऊपरी मंजिलों तक फैल गई.
बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा ? छात्रों के गुस्से की क्या है वजह
विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग को लेकर छात्रों ने बांग्लादेश में प्रदर्शन की शुरुआत की थी. जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था. सरकार ने छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के बाद 2018 में इस पर रोक लगा दी थी, लेकिन जून में बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने आरक्षण बहाल कर दिया था, जिसके बाद देश में फिर से विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए थे. हालांकि प्रदर्शन को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को समाप्त कर दिया था, इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों को गुस्सा शांत नहीं हुआ और लगातार शेख हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इस आंदोलन में 16 जुलाई से कल तक 21 दिन में कुल 440 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 500 से अधिक लोग घायल हैं.
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