China Brazil: चीन को ब्रिक्स (BRICS) के अहम साथी में ब्राजील ने एक तगड़ा झटका दिया है. ब्राजील ने चीन की अरबों डॉलर की महत्वाकांक्षी परियोजना BRI (Belt and Road Initiative) में शामिल होने से मना कर दिया है. BRICS देशों के समूह में भारत के बाद अब ब्राजील दूसरा देश बन गया है, जो चीन के इस मेगा प्रोजेक्ट (China Mega Project) का समर्थन नहीं करेगा और न ही इसमें शामिल होगा. इंटरनेशनल मामलों के लिए राष्ट्रपति के विशेष सलाहकार सेल्सो एमोरिम ने बीती सोमवार 28 अक्टूबर को बताया कि राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के अगुृवाई में ब्राजील बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल नहीं होगा. ब्राजील इसके बजाय चीनी निवेशकों के साथ अन्य वैकल्पिक तरीके तलाशेगा. गौरतलब है हाल ही में यानी 22 से 24 अक्टूबर को रूस के कजान शहर में ब्रिक्स देशों की 16वीं बैठक हुई थी.
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ब्राजील के एक अखबार के मुताबिक अधिकारी ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि ब्राजील चीन के साथ संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाना चाहता है लेकिन वह इसके लिए किसी तरह से कॉन्ट्रैक्ट पर साइन नहीं कर सकते हैं. अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि चीन की बुनियादी ढांचे और व्यापार परियोजनाओं को ब्राजील किसी बीमा पॉलिसी के रूप में नहीं लेना चाहता. ऐसे में ब्राजील का यह फैसला चीन के मंसूबों पर पानी फेर सकता है. इससे पहले चीन यह योजना थी कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 20 नवंबर को होने वाली ब्रासीलिया की यात्रा के दौरान BRI में शामिल करने के लिए ब्राजील से बात की जाएगी. लेकिन इससे पहले ही ब्राजील ने चीन के इस BRI का विरोध करने का फैसला किया है.
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BRI से ब्राजील के बाहर होने की क्या है वजह?
ब्राजील में लोगों का मत और राय यह थी कि चीन की इस बुनियादी ढांचा परियोजना में शामिल होने से न फिलहाल अभी कोई ठोस लाभ नहीं मिलेगा. वहीं अमेरिकी प्रेसिडेंट इलेक्शन में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने की स्थिति में ब्राजील और अमेरिका संबंध भी मुश्किल में पड़ सकते हैं. पिछले सप्ताह ही एमोरिम और राष्ट्रपति के चीफ ऑफ स्टाफ रुई कोस्टा इस योजना के बारे में चर्चा करने के लिए चीन पहुंचे थे. सूत्रों की मानें तो ब्राजील के अधिकारी चीन के प्रस्तावों से असंतुष्ट होकर लौटे. प्रेसिडेंट लूला चोट की वजह से इस महीने रूस के कजान शहर में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे. ब्रिक्स समूह में मूल रूप से ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल थे. लेकिन हाल ही में हुए बैठक में इथियोपिया, ईरान, मिस्र, सऊदी अरब के साथ संयुक्त अरब अमीरात को नए मेंबर के रूप में शामिल किया गया है.
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भारत ने खुलकर किया BRI प्रोजेक्ट का विरोध
भारत ने चीन के 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत से बनने वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) का भी कड़ा विरोध किया है. इस आर्थिक गलियारे को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) के माध्यम से BRI की प्रमुख परियोजना के रूप में देखा है. भारत ने चीन के BRI प्रोजक्ट की खुलकर आलोचना की है. भारत ने कहा कि ये परियोजनाएं देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा हैं. भारत के इस विरोध के बाद चीन को कई अन्य देशों से भी आलोचना का सामना करना पड़ा है.
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ब्राजील को अमेरिका ने दी थी सलाह
अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई ने कुछ दिन पहले ही में ब्राजील से इस बात का आग्रह किया था कि वह चीन के BRI प्रोजेक्ट में शामिल होने के प्रस्ताव को सही तरीके से सोचे और विचार करे. इसके बाद ब्राजील की राजदानी ब्रासीलिया में स्थिति चीनी दूतावास ने अमेरिका के इस टिप्पणियों को गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक बताया था.
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