Blackout In Sri Lanka: रविवार को श्रीलंका के एक विद्युत ग्रिड उप-स्टेशन में एक बंदर के घुसने से पूरे देश में बिजली संकट पैदा हो गया. सरकारी अधिकारियों के अनुसार, इस घटना के कारण सुबह 11:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई. ऊर्जा मंत्री कुमारा जयकोडी ने बताया कि यह घटना दक्षिण कोलंबो के एक उपनगर में हुई. उन्होंने कहा, “एक बंदर ने हमारे ग्रिड ट्रांसफार्मर के संपर्क में आकर सिस्टम में असंतुलन पैदा कर दिया, जिससे पूरे देश में बिजली कटौती हो गई.”
श्रीलंका में अचानक पूरे द्वीप में बिजली गुल होने की खबर मिली है, जिससे कई क्षेत्र प्रभावित हुए हैं।
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) February 9, 2025
सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (सीईबी) ने कहा है कि द्वीप के अधिकांश हिस्सों में आपूर्ति बहाल कर दी गई है।@PBSC_Colombo pic.twitter.com/oJypLw2hzB
बिजली आपूर्ति बहाल करने की कोशिशें जारी
तीन घंटे बाद भी पूरे देश में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बहाल नहीं हो सकी थी. हालांकि, कुछ क्षेत्रों में बिजली आ गई थी, लेकिन अभी भी कई हिस्सों में अंधेरा बना हुआ था. ऊर्जा मंत्री ने बताया कि “इंजीनियर इस समस्या को ठीक करने में लगे हुए हैं और जल्द से जल्द बिजली सेवा बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं.”
2022 के बिजली संकट की यादें ताजा
इस घटना ने 2022 के बिजली संकट की यादें ताजा कर दीं, जब श्रीलंका को आर्थिक संकट के कारण महीनों तक बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था. उस दौरान पेट्रोल और डीजल की भारी किल्लत के कारण थर्मल पावर स्टेशनों को प्रतिदिन 13 घंटे तक बिजली आपूर्ति सीमित करनी पड़ी थी.
श्रीलंका को अप्रैल 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने के कारण अपने 46 अरब डॉलर के विदेशी कर्ज पर डिफॉल्ट करना पड़ा था. इस आर्थिक संकट ने पूरे देश को हिला कर रख दिया और आवश्यक वस्तुओं जैसे भोजन, ईंधन और दवाइयों की आपूर्ति प्रभावित हुई.
आर्थिक संकट और नई सरकार की चुनौती
इस अभूतपूर्व आर्थिक संकट के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा था. इसके बाद राष्ट्रपति बने रानिल विक्रमसिंघे ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 2.9 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज प्राप्त कर अर्थव्यवस्था को स्थिर करने की कोशिश की. सितंबर 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति दिसानायके ने विक्रमसिंघे को हराकर सत्ता संभाली. उन्होंने कड़े वित्तीय सुधार जारी रखने और चार साल की IMF बेलआउट योजना को आगे बढ़ाने का वादा किया है. उनकी सरकार ने पिछले साल के अंत में लंबित ऋण पुनर्गठन समझौता भी पूरा कर लिया, जिससे श्रीलंका की “दिवालिया राष्ट्र” की स्थिति समाप्त हो गई.
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