Russia Ukraine War: यूक्रेन-रूस युद्ध ने दुनिया भर के किसानों को अपने खेती के स्वरूप को बदलने और इस बसंत में अधिक गेहूं उगाने के लिए मजबूर किया है, क्योंकि युद्ध ने ‘दुनिया की रोटी की टोकरी’ के रूप में चर्चित क्षेत्र से अनाज की आपूर्ति को रोक दिया है या उस पर सवालिया निशान लगा दिये हैं. करीब 12.5 करोड़ लोगों पर संकट मंडराया, तो भारत और ऑस्ट्रेलिया ने निर्यात बढ़ाकर उनका पेट भरने की पहल की.
विशेषज्ञों ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे देशों ने अनाज के निर्यात में वृद्धि के साथ इस दिशा में प्रतिक्रिया दी है, लेकिन अन्य लोगों के लिए तुरंत ऐसा करने की गुंजाइश बेहद कम है. विशेष रूप से बार-बार पड़ रहे सूखे के कारण. उत्तरी डकोटा के पश्चिम में खेत के मालिक एड केसल ने कहा कि हालात देखते हुए वह कुछ और गेहूं बो सकते हैं और कीमतों में उछाल का फायदा उठा सकते हैं.
उन्होंने कहा कि कीमतों में युद्ध शुरू होने के बाद एक तिहाई की बढ़ोतरी हुई है, जिससे सूखे से होने वाले नुकसान और ईंधन की बढ़ती लागत की भरपाई में मदद मिली है. लेकिन बहुत ज्यादा नहीं. नॉर्थ डकोटा ग्रेन ग्रोअर्स एसोसिएशन के पहले उपाध्यक्ष केसल ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं, तो यह हमें कुछ और एकड़ में गेहूं लगाने में मदद करेगा. हम कुछ और एकड़ खेतों में गेहूं और कुछ में सूरजमुखी उगायेंगे.’
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’यूक्रेन और रूस वैश्विक गेहूं व जौ निर्यात का एक तिहाई हिस्सा देते हैं, जिस पर मध्य पूर्व, एशिया और अफ्रीका के देशों के लाखों लोग भोजन के लिए निर्भर रहते हैं. वे खाना पकाने और खाद्य प्रसंस्करण के लिए उपयोग किये जाने वाले अन्य अनाज और सूरजमुखी के बीज के तेल के शीर्ष निर्यातक भी हैं.
अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना जैसे प्रमुख अनाज उत्पादकों पर यह देखने के लिए बारीकी से नजर रखी जा रही है कि क्या वे यूक्रेनी और रूसी आपूर्ति में आयी कमी की भरपाई करने के लिए उत्पादन में तेजी ला सकते हैं. किसान हालांकि एक और साल सूखे की आशंका का सामना कर रहे हैं. ईंधन और उर्वरक की लागत बढ़ रही है, तथा कोविड-19 महामारी से आपूर्ति शृंखला बाधित हो रही है.
प्रमुख उत्पादक भी निर्यात और खेती के पैटर्न पर कानूनी सीमा जैसे कारकों से प्रभावित होते हैं, जिसका अर्थ मिस्र, लेबनान, पाकिस्तान, ईरान, इथियोपिया और अन्य देशों के लिए अनिश्चितता है, जो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त गेहूं, जौ, मक्का या अन्य अनाज नहीं उगा सकते हैं.
युद्ध ने उन देशों में भोजन की कमी और राजनीतिक अस्थिरता के खतरे को बढ़ा दिया है, जो सस्ते अनाज आयात पर निर्भर हैं. विश्व खाद्य कार्यक्रम दुनिया भर में 12.5 करोड़ लोगों को खिलाने के लिए जो अनाज खरीदता है, उसका लगभग आधा यूक्रेन से आता है.
Posted By: Mithilesh Jha