2022 तक कोरोना वैक्सीन की 10 करोड़ डोज डोनेशन में देगा ब्रिटेन, जी-7 की बैठक में पीएम जॉनसन ने किया ऐलान
सम्मेलन में प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा कि इस महामारी की शुरुआत से ही ब्रिटेन ने इस घातक बीमारी से मानवता की रक्षा करने के प्रयासों का नेतृत्व किया है. एक साल पहले हमने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका के विकास के लिए वित्तपोषण इस आधार पर किया कि इसे दुनिया में कीमत के आधार पर वितरित किया जाएगा.
लंदन : कॉर्नवाल में शुक्रवार को शुरू हुए जी-7 शिखर सम्मेलन की शुरुआत में ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ऐलान किया है कि 2022 तक ब्रिटेन दुनिया को करीब 10 करोड़ कोरोना टीकों की खुराकें दान करेगा. शिखर सम्मेलन फॉर्मल सेशन के शुरू होने के पहले मेजबान देश के प्रधानमंत्री जॉनसन ने कोरोना वायरस महामारी पर काबू के लिए एक बड़ा कदम उठाने का संकल्प प्रस्तुत किया.
जी-7 के सदस्य देशों में ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं. इन देशों के नेताओं के साथ ही यूरोपीय संघ और अतिथि देशों के रूप में भारत, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा दक्षिण कोरिया के नेता भी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बैठक को डिजिटल तरीके से संबोधित करेंगे. उम्मीद की जा रही है कि शिखर सम्मेलन में दुनिया को कोविड टीकों की कम से कम एक अरब खुराकें देने का ऐलान किया जाएगा.
सम्मेलन में प्रधानमंत्री जॉनसन ने कहा कि इस महामारी की शुरुआत से ही ब्रिटेन ने इस घातक बीमारी से मानवता की रक्षा करने के प्रयासों का नेतृत्व किया है. एक साल पहले हमने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका टीका के विकास के लिए वित्तपोषण इस आधार पर किया कि इसे दुनिया में कीमत के आधार पर वितरित किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इस अभूतपूर्व मॉडल में लोगों को लाभ से ऊपर रखा गया है. इसका मतलब है कि अब तक 160 देशों में आधा अरब से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के टीका कार्यक्रम की सफलता के बाद अब हम अपनी कुछ अतिरिक्त खुराकें उन लोगों के साथ साझा करने की स्थिति में हैं, जिन्हें इसकी जरूरत है.
जॉनसन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि जी-7 शिखर सम्मेलन में मेरे सहयोगी नेता भी इसी तरह का संकल्प लेंगे, ताकि हम अगले साल के अंत तक दुनिया का टीकाकरण कर सकें और कोरोना वायरस से बेहतर तरीके से मुकाबला कर सकें. उन्होंने कहा कि ब्रिटेन सितंबर के अंत तक 50 लाख खुराकें दान करेगा और इसकी शुरुआत आने वाले हफ्तों में होगी और यह मुख्य रूप से दुनिया के सबसे गरीब देशों के लिए होगी.
Posted by : Vishwat Sen