Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज है. राष्ट्रपति आवास के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय पर भीड़ ने कब्जा कर लिया है. चारों ओर हाहाकार है. आसमान छूती महंगाई है, तो ईंधन खत्म हो चुका है. स्कूल-कॉलेज और कार्यालय बंद हैं. देश की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल है. चारों ओर प्रदर्शन हो रहे हैं. पुलिस इन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दाग रही है. सेना मूकदर्शक बनी हुई है. इस बीच नये राष्ट्रपति के चयन की तैयारी भी चल रही है.
श्रीलंका में बौद्ध भिक्षुओं (Buddhist Monks) का प्रभाव बहुत अधिक है. बौद्ध भिक्षुओं के प्रभाव को इस बात से आंका जा सकता है कि वे श्रीलंका में सरकार बनाने और सरकार को सत्ता से बेदखल करने की हैसियत रखते हैं. वर्ष 2019 में गोटाबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति बनाने में जिन बौद्ध भिक्षुओं की अहम भूमिका थी, उनके गुस्से ने गोटाबाया को सत्ता से न केवल बेदखल कर दिया, बल्कि उन्हें देश छोड़कर भागने के लिए भी मजबूर होना पड़ा.
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बौद्ध भिक्षुओं ने श्रीलंका के अगले राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दी है. इसके लिए पांच सिविल एक्टिविस्ट की सूची बनायी गयी है, जिनमें से किसी एक को देश का राष्ट्रपति चुना जायेगा. ucanews.com के मुताबिक, 20 जुलाई को श्रीलंका की संसद नये राष्ट्रपति का चुनाव करेगी. राष्ट्रपति का चुनाव गुप्त बैलट पेपर के जरिये होगी.
ucanews.com की रिपोर्ट में बताया गया है कि बुधवार को राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर सेना के विमान से मालदीव भाग गये. बताया जा रहा है कि जनता के विद्रोह से डरकर राष्ट्रपति ने देश छोड़ दिया. इससे पहले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे भी प्रधानमंत्री आवास छोड़कर नौसेना के अड्डे में शरण ले ली थी.
ओमालपे सोबिथा थेरा ने पत्रकारों से कहा है कि अगर राजनीतिक दल इस संकट का नहीं निकाल पाये, तो गोटाबाया राजपक्षे की जगह नये राष्ट्रपति के लिए लोगों के नाम सुझाये जायेंगे. उन्होंने कहा कि अगला राष्ट्रपति सभी राजनीतिक दलों के साझा समझौते के आधार पर और राष्ट्र की जरूरतों के आधार पर चुना जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे पहले सभी राजनीतिक दलों को सत्ता की लड़ाई छोड़नी होगी.
उन्होंने कहा कि अगर राजनीतिक दल देश की समस्या का राजनीतिक समाधान खोजने में विफल रहे, तो वे पांच सामाजिक कार्यकर्ता के नाम सुझायेंगे, जो राष्ट्रपति बन सकते हैं. ऐसे में हम सभी दलों से आग्रह करेंगे कि उस शख्स को अपना समर्थन दें. हालांकि, बौद्ध भिक्षुओं ने उन पांच लोगों के नाम सार्वजनिक करने से अभी इंकार कर दिया है.
बौद्ध भिक्षुओं ने कहा कि राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट के डुलास अलाहापेरुमा, विपक्षी दल समागी जन बलवेगाया के नेता साजित प्रेमदासा और रानिल विक्रमसिंघे भी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हो सकते हैं. गोटाबाया राजपक्षे को 13 जुलाई को आधिकारिक रूप से इस्तीफा देना था. उसके बाद रानिल विक्रमसिंघे पर इस बात का दबाव बढ़ गया था कि वह राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी संभालें और सर्वदलीय सरकार का गठन करें.
हालांकि, जनता विमुक्ति पेरामुना के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके ने चेताया कि अगर विक्रमसिंघे राष्ट्रपति बनने की कोशिश करेंगे, तो इससे संकट और बढ़ जायेगा. एक बयान में उन्होंने कहा कि हमने पिछले कुछ महीने में बहुत हल्ला-हंगामा देख लिया है. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की यह जिम्मेदारी है कि वे लोगों की मांग के अनुरूप काम करें और किसी भी संकट से निबटे.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने राजपक्षे बंधुओं के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है. महिंदा राजपक्षे और गोटबाया राजपक्षे के छोटे भाई और श्रीलंका के वित्त मंत्री रहे बासिल राजपक्षे को एयरपोर्ट से वापस लौटना पड़ा. इससे पहले महिंदा राजपक्षे को भी एयरपोर्ट से लौटना पड़ा. वह दुबई के रास्ते अमेरिका भागने की फिराक में थे.