Canada: कनाडा ने श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया और महिंदा राजपक्षे समेत चार पर लगाया प्रतिबंध

कनाडा ने श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे समेत चार राज्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे का कारण बताया. दरअसल चारों पर आरोप है कि 1983 से 2009 तक हुए श्रीलंका के नागरिक संघर्ष के दौरान मानवाधिकारों का घोर और व्यवस्थित उल्लंघन किया है.

By ArbindKumar Mishra | January 10, 2023 9:46 PM
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कनाडा सरकार ने श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे समेत चार राज्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. दो अन्य अधिकारियों में स्टाफ सार्जेंट सुनील रत्नायके और लेफ्टिनेंट कमांडर चंदना पी हेत्तियाराचिथे शामिल हैं.

कनाडा ने श्रीलंका के चार राज्य अधिकारियों पर क्यों लगाया प्रतिबंध

कनाडा ने श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और महिंदा राजपक्षे समेत चार राज्य अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने के पीछे का कारण बताया. दरअसल चारों पर आरोप है कि 1983 से 2009 तक हुए श्रीलंका के नागरिक संघर्ष के दौरान मानवाधिकारों का घोर और व्यवस्थित उल्लंघन किया है.

सूचीबद्ध व्यक्तियों की मदद पर भी प्रतिबंध

कनाडा सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार बताया गया है कि विशेष आर्थिक उपाय (श्रीलंका) विनियम सूचीबद्ध व्यक्तियों पर कनाडा और कनाडा के बाहर के कनाडाई व्यक्तियों को इन सूचीबद्ध व्यक्तियों की किसी भी संपत्ति से संबंधित किसी भी गतिविधि में संलग्न होने या वित्तीय प्रदान करने से प्रतिबंधित किया जाता है. करके किसी भी लेनदेन (प्रभावी रूप से, एक संपत्ति फ्रीज) पर रोक लगाते हैं या उनसे संबंधित सेवाएं. विनियमों की अनुसूची में सूचीबद्ध व्यक्तियों को भी आप्रवासन और शरणार्थी संरक्षण अधिनियम के तहत कनाडा के लिए अस्वीकार्य माना जाता है.

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कनाडा के विदेश मंत्री ने फैसले का किया स्वागत

कनाडा के विदेश मंत्री मेलानी जोली ने फैसले का स्वागत किया और कहा, पिछले चार दशक से श्रीलंका के लोगों ने राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक और मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन का सामना किया है.

2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे महिंदा राजपक्षे

मालूम हो महिंदा राजपक्षे 2005 से 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे इस दौरान गोटाबाया के पास रक्षा विभाग था. गोटाबाया दो बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री भी रहे. महिंदा भी 2004 में श्रीलंका के प्रधानमंत्री चुने गये थे. दोनों पर ही मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगा है.

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