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Charles Sobhraj: पांच कत्ल करके भी फांसी से बचने वाले चार्ल्स शोभराज को क्यों कहते हैं बिकिनी किलर?

Charles Sobhraj: सीरियल बिकिनी किलर चार्ल्स शोभराज को नेपाल की सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया. शोभराज को दो अमेरिकी पर्यटकों की हत्या के लिए 2003 से ही नेपाल की जेल में बंद रखा गया था.

Charles Sobhraj: सीरियल बिकिनी किलर चार्ल्स शोभराज को 19 वर्षों बाद आज नेपाल की सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया. नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ती उम्र के मद्देनजर उसे रिहा करने का आदेश दिया. बताते चलें कि चार्ल्स शोभराज को दो अमेरिकी पर्यटकों की हत्या के लिए 2003 से ही नेपाल की जेल में बंद रखा गया था.

नेपाल में एक उम्रकैद के तहत 20 सालों की सजा का प्रावधान

चार्ल्स शोभराज दर्जनों हत्याओं, चोरी और धोखाधड़ी के कई मामलों में शामिल रहा है और उसकी भारत, ग्रीस समेत दक्षिण एशियाई के कई देशों में अलग-अलग मामलों में तलाश रही है. हालांकि, चार्ल्स को 2003 में नेपाल यात्रा के दौरान दो विदेशी पर्यटकों की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. नेपाल में एक उम्रकैद के तहत 20 सालों की सजा का प्रावधान है.

शोभराज की असल जिंदगी से लिया था ये फिल्मी डायलॉग

चार्ल्स शोभराज पर 20 से अधिक हत्याओं का आरोप है, जो वेश बदलने और जेल से फरार होने में माहिर है और कई फिल्में और किताबों के बाद भी जिसके आपराधिक किस्से दुनियाभर में सुने-सुनाए जाते हैं. सुपरहिट फिल्म डॉन के कई डायलॉग खूब पसंद किए गए थे. इनमें एक मशहूर डायलॉग था, डॉन का इंतजार तो 11 मुल्कों की पुलिस कर रही है. साल 2015 में आई फिल्म ‘मैं और चार्ल्स’ में मुख्य भूमिका निभाने वाले अभिनेता रणदीप हुड्डा की मानें तो यह डायलॉग सीरियल किलर चार्ल्स शोभराज की असल जिंदगी से लिया गया है.

बिकिनी किलर के नाम से मशहूर

शोभराज कई विदेशी पर्यटकों की हत्या में शामिल था, जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं. उसके कई शिकार बिकिनी पहनी महिलाएं थीं. इसलिए उसे बिकिनी किलर के नाम से भी जाना जाता है.

शोभराज पर थाईलैंड में 5 लड़कियों के कत्ल का इल्जाम

चार्ल्स शोभराज पर सन 1972 में थाईलैंड में पांच लड़कियों के कत्ल का इल्जाम था. वहां के कानून के मुताबिक, इतने कत्ल के बाद चार्ल्स को फांसी की सजा मिलनी लगभग तय थी. लेकिन, वहां के कानून में एक शर्त ये भी थी कि ये सजा उसे 20 सालों के अंदर ही मिलनी चाहिए थी और कानून की इसी शर्त को चार्ल्स ने अपनी जिंदगी का हथियार बना लिया. चार्ल्स अब किसी कीमत पर थाईलैंड पुलिस की जद में नहीं आना चाहता था. इसके बाद वो सीधे सीधे 1976 में भारत में पकड़ा गया.

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