चीन ने नेपाल के बार्डर पर लगाए कंटीले तार, नागरिक समूह ने कार्रवाई को लेकर पड़ोसी देश के खिलाफ उठाई आवाज

चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. अब चीन ने नेपाल के इलाकों में अतिक्रमण कर लिया है. जिसको लेकर नेपाल ने उन्मूलन मंत्री शशि श्रेष्ठ को एक ज्ञापन सौंपा है. स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि चीन ने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन किए बिना नो-मैन्स लैंड क्षेत्र के भीतर रुइला सीमा पर कंटीली तारे लगाई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 20, 2022 10:24 AM

चीन ने नेपाल की भूमि पर किया अवैध कब्जा

बिनय यादव ने कहा, “रूइला समेत नेपाल-चीन सीमा के विभिन्न इलाकों में अंतरराष्ट्रीय कानून और मूल्यों का उल्लंघन न केवल दोनों देशों की दोस्ती का अपमान है, बल्कि नेपाल की संप्रभुता को भी सीधी चुनौती है.” इसी तरह, उन्होंने आगे कहा कि नेपाल की निंदा के सामने चीन की ओर से नेपाल की क्षेत्रीय अखंडता पर बार-बार किए गए हमलों ने बीजिंग पक्ष को अपने अवैध इरादों को अंजाम देने से नहीं रोका है. उन्होंने वर्तमान सरकार के सत्ता में आने पर नेपाल-चीन सीमा पर अतिक्रमण के खिलाफ उठाए गए कदमों की भी सराहना की. उन्होंने कहा, “हालांकि, सरकार द्वारा किए गए कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद, सीमा पर अतिक्रमण जारी है.”

नो-मैन्स-लैंड के बगल में लगाई गई कंटीले तार

ज्ञापन में कहा गया, “हम सीमा अतिक्रमण के खिलाफ इस सरकार द्वारा निर्णायक और सख्त कार्रवाई की उम्मीद करते हैं, एकता अभियान अपने हर कदम में सरकार का पूरा समर्थन और सहयोग करना जारी रखता है.” इससे पहले जून में, एक स्थानीय नेपाली मीडिया ने उत्तरी गोरखा में नो-मैन्स-लैंड के बगल में एक कंटीली तारों का निर्माण चीन द्वारा नेपाली भूमि के अतिक्रमण के बारे में बताया था.

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स्थानीय लोगों ने कही ये बात

गोरखा के मुख्य जिला अधिकारी शंकर हरि आचार्य ने सीमा पर कंटीली तारे लगाने को लेकर अनभिज्ञता जाहिर की. अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक नो मैन्स लैंड में कोई ढांचा या बाड़ नहीं बनाई जा सकती. इस तरह की कार्रवाई के लिए द्विपक्षीय सहमति की आवश्यकता है. हालांकि, स्थानीय लोगों ने दावा किया है कि चीन ने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन किए बिना नो-मैन्स लैंड क्षेत्र के भीतर रुइला सीमा पर कंटीली तारे लगा दी है. तार लगाने के चीन के अवैध कब्जे से सीमा पार स्थानीय लोगों की आवाजाही ठप हो गई है. स्थानीय लोगों ने शिकायत की है कि उन्हें दैनिक जरूरत का सामान लाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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