चीन में दिखेंगे चांद के पत्थर, चंद्रमा की कक्षा से निकला चीनी यान, 44 साल बाद कोई स्पेसक्राफ्ट करेगा यह काम
चीन के एक अंतरिक्ष कैप्सूल ने चांद की सतह से पत्थरों के नमूने लेकर पृथ्वी की ओर लौटना शुरू कर दिया है. इस तरह का प्रयास करीब 45 वर्षों में पहली बार किया जा रहा है.
चीन के एक अंतरिक्ष कैप्सूल ने चांद की सतह से पत्थरों के नमूने लेकर पृथ्वी की ओर लौटना शुरू कर दिया है. इस तरह का प्रयास करीब 45 वर्षों में पहली बार किया जा रहा है. चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिये बताया कि ‘चांग-5’ अंतरिक्ष यान करीब 22 मिनट तक चार इंजनों को चालू करके रविवार की सुबह चंद्रमा की कक्षा से निकला. यह यान इस महीने की शुरुआत में चांद पर पहुंचा था.
उसने करीब दो किलोग्राम नमूने एकत्र किये हैं. कैप्सूल के तीन दिन की यात्रा के बाद इनर मंगोलिया क्षेत्र में उतरने की संभावना है. ‘चांग-5’ चीन के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास का सबसे अधिक जटिल एवं चुनौतीपूर्ण अभियान है. यह बीते 40 वर्ष से भी अधिक समय में दुनिया का पहला ऐसा अभियान है, जिसमें चांद के नमूने धरती पर लाने के प्रयास किये जा रहे हैं.
पिछले गुरुवार को चीन के अंतरिक्षयान चांग-5 के एस्केंडर ने चंद्रमा की सतह से टेक ऑफ के ठीक पहले कपड़े से बने चीन के राष्ट्रीय ध्वज को चंद्रमा की सतह पर फहराया था. चांग-5 चंद्रमा की सतह पर पहुंचने वाला चीन का तीसरा अंतरिक्षयान है. इससे पहले भी चीन सफलतापूर्वक चांद पर दो स्पेसक्राफ्ट्स को उतार चुका है. हालांकि, चीन पहली बार अपने किसी स्पेसक्राफ्ट को वहां से वापस लाने की कोशिश में है.
चंद्रमा की सतह से करीब दो किलोग्राम नमूने किये हैं एकत्र : चांद पर चीन के दो मिशन पहले से मौजूद: चीन के दो मिशन चांद की सतह पर पहले से ही मौजूद हैं. इसमें चेंग-इ-3 नाम का स्पेसक्राफ्ट 2013 में चांद के सतह पर पहुंचा था, जबकि जनवरी 2019 में चेंग-इ-4 चांद की सतह पर लैंडर और यूटू-2 रोवर के साथ लैंड किया था.
इस महिला वैज्ञानिक ने ‘मून मिशन’ में निभायी है बड़ी भूमिका : चीन के ‘मून मिशन’ के पीछे 24 साल की अंतरिक्ष वैज्ञानिक झोउ चेंगयु की बड़ी भूमिका बतायी जा रही है. खुद चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने ट्वीट कर झोउ चेंगयु की तारीफ की है. चांग-5 के प्रक्षेपण स्थल वेनचांग स्पेसक्राफ्ट लॉन्च साइट पर सबसे कम उम्र के कमांडर होने के बावजूद उन्हें सम्मान के तौर पर बिग सिस्टर के रूप में जाना जाता था.
सबसे शक्तिशाली रॉकेट से लॉन्च हुआ था मिशन : चीन के अंतरिक्ष यान को चांद तक पहुंचाने के लिए लांग मार्च-5 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है. यह रॉकेट तरल केरोसिन और तरल ऑक्सीजन की मदद से चलता है. चीन का यह रॉकेट 187 फुट लंबा और 870 टन वजनी है.
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44 साल बाद चंद्रमा से नमूना लायेगा कोई अंतरिक्षयान : चंद्रमा की सतह पर 44 साल बाद ऐसा कोई अंतरिक्षयान उतरा है, जो यहां से नमूना लेकर वापस लौट रहा है. इससे पहले, रूस का लूना-24 मिशन 22 अगस्त 1976 को चांद की सतह पर उतरा था. तब लूना अपने साथ चांद से 200 ग्राम मिट्टी लेकर वापस लौटा था, जबकि चीन का यह स्पेसक्राफ्ट अपने साथ दो किलोग्राम मिट्टी लेकर वापस आ रहा है. यदि मिशन सफल रहता है, तो अमेरिका और पूर्ववर्ती सोवियत संघ के बाद चीन चांद के चट्टानी पत्थर धरती पर लाने वाला तीसरा देश बन जायेगा.
Posted by : Pritish Sahay