चीन की टेढ़ी नजर अब भूटान पर भी, साजिश को नाकाम करने के लिए भारत ने बनाया ये प्लान
भारत के अलावा चीन अब अन्य पड़ोसी देशों को अपने प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहा है, अब चीन की नजरें भूटान पर भी है जिसे वो अपने प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहा है.
भारत के अलावा चीन अब अन्य पड़ोसी देशों को अपने प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहा है, अब चीन की नजरें भूटान पर भी है जिसे वो अपने प्रभाव में लाने की कोशिश कर रहा है. हालांकि भारत सरकार इसे लेकर काफी सजग है और अपने हिमालायी देशों के साथ अपने पुराने संबंधों को मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. मोदी सरकार दोनों देशों के बीच ट्रेड पॉइंट से लेकर रेल लिंक तक सभी तरह के प्रयास कर रही है ताकि कि चीन का भूटान पर प्रभाव को कम किया जा सके.
बता दें कि भारत और भूटान के बीच नया ट्रेड रूट शुरू हुआ है, इसमें भारत भूटान के एक और स्थायी लैंड कस्टम स्टेशन को खोलने के अनुरोध को स्वीकार कर सकता है, इसका फायदा यह होगा कि भूटान को भारत और बांग्लादेश पर निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी. इसके अलावा भारत एक और इंटीग्रेटेड खोलने के बारे में विचार कर रहा है,
भारत को इस बात का ज्ञात है कि भूटान को चीन अपने प्रभाव में लेने की कोशश कर रहा है, इसका ताजा उदाहरण है कि उसने हाल ही में भूटान की पश्चिमी इलाके और अरुणाचल प्रदेश के करीब वाले इलाके पर अपना दावा पेश कर रहा है. बता दें भूटान भारत का एकमात्र ऐसा पड़ोसी देश है जिसने चीन का बेल्ट रोड इनिशेटिव यानी बीआरई का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया.
सूत्रों के मुताबिक पश्चिम बंगाल के मुंजाई और भूटान के नायनोपोलिंग के बीच ट्रेन लिंक स्थापित करने के लिए स्टडी किया जा रहा है, इसके अलावा लैंड पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया पश्चिम बंगाल के जईगांव में एक इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने के बारे में विचार कर रही है भूटान के अनुरोध के बाद जिट्टी-नागराकाटा LCS को स्थायी LCS बनाने के बारे में विचार विमर्श कर रही है. अभी यह एक अस्थायी स्टेशन है जहां से संतरा, अदरक और इलायची इत्यादि का व्यापार होता है.
भारतीय अथॉरिटी के अनुसार भूटान की चाहत भारत और बांग्लादेश बॉल्डर और रिवर बोर्ड मेटेरियल एक्सपोर्ट करने की है. गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने एक जारी बयान में कहा है कि चीन-भूटान सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है और पूर्वी, मध्य और पश्चिमी हिस्से पर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है. साथ ही चीन ने कहा कि वो इस मसले पर किसी तीसरे पक्ष का दखल नहीं चाहता है. चीन का दावा इसलिए अहम है कि इस इलाके की सीमा अरुणाचल प्रदेश से भी लगती है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर कई बार अपना दावा कर चुका है.
posted by : sameer oraon