चीन की नई चाल : भारत के साथ बरकरार बॉर्डर विवाद के बीच ड्रैगन ने बनाया नया कानून
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन का नया कानून चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों को सीमावर्ती इलाकों के नागरिकों के साथ मिलकर काम करने वाली नीति को मजबूत बनाता है.
बीजिंग/नई दिल्ली : भारत के साथ पूर्वी लद्दाख और पूर्वोत्तर के राज्यों में महीनों से बरकरार बॉर्डर विवाद के बीच चीन ने जमीनी सीमाओं को मजबूत और नियंत्रित करने के लिए एक नया कानून पारित किया है. चीन की ओर से बनाया गया यह कानून सीमावर्ती इलाकों में उसके सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुदृढ़ करने के साथ ही जमीनी सीमाओं को सैन्य संयोजन के दृष्टिकोण से मजबूत बनाता है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन का नया कानून चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों को सीमावर्ती इलाकों केनागरिकों के साथ मिलकर काम करने वाली नीति को मजबूत बनाता है. उसके इस कानून से भारत, भूटान, नेपाल और तिब्बत के ग्रामीण इलाकों में पीएलए के जवान वहां के नागरिकों को इस्तेमाल करते हुए रक्षा के क्षेत्र में पहली पंक्ति के रूप में काम करेंगे.
चीन के सरकारी मीडिया के अनुसार, नए कानून में कहा गया है कि लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए. पिछले 17 महीने से भारत-चीन सीमा विवाद में उलझे हैं. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुए हिंसक झड़प के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा विवाद बरकरार है. इस झड़प में भारतीय सेना के तकरीबन 20 सैनिक शहीद हो गए थे.
मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि भारत-चीन की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 1975 के बाद दोनों देशों की सेना के जवानों के बीच ऐसी पहली हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें सेना के जवान शहीद हुए हैं. गलवान घाटी में एलएसी पर हुई इस हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 15 जवानों के शहीद होने के साथ ही चीनी सेना के 4 चार मारे गए थे, जबकि एक घायल बताया जा रहा था.
हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में इस हिंसक झड़प के दौरान मारे गए चीनी सैनिकों की संख्या के बारे में संदेह भी जाहिर किया गया था कि चीन मारे जाने वाले सैनिकों की संख्या के आंकड़े को कम करके बता रहा है.
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीनी संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) ने शनिवार को देश के सीमावर्ती क्षेत्रों के संरक्षण और शोषण पर नया कानून अपनाने के लिए नए कानून को पारित किया है, जो 1 जनवरी, 2022 से प्रभावी होगा. इस नए कानून के अनुसार, सरकार क्षेत्रीय अखंडता और जमीनी सीमाओं की रक्षा के लिए उपाय करेगा और क्षेत्रीय संप्रभुता और जमीनी सीमाओं को कमजोर करने वाले किसी भी कार्य से बचाव और मुकाबला करेगा.