दुनिया पर राज करना चाहता है ड्रैगन! सबसे बड़ी ताकत बनने के लिए किया हाइपरसोनिक परीक्षण
चीन ने अंतरिक्ष से एक नई हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है. परमाणु हथियार को ले जाने में सक्षम यह मिसाइल को चीन ने पहले अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा गया. जहां मिसाइल ने धरती का एक चक्कर लगाया. इसके बाद अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर यह हाइपरसोनिक स्पीड से दौड़ पड़ा.
अपनी विस्तारवादी नीति के कारण पूरी दुनिया में कुख्यात चीन अब तबाही के नये हथियार पर काम कर रहा है. खबर है कि ड्रैगन अब अंतरिक्ष में भी अपने पैर जमा रहा है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट दावा किया गया है कि चीन ने अंतरिक्ष से एक नई हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है. ऐसा परीक्षण अभी तक अमेरिका और रुस जैसे देशों ने भी नहीं किया है. वहीं, इस रिपोर्ट के आने के बाद पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है.
रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि चीन ने यह परीक्षण अगस्त महीने में किया था. परमाणु हथियार को ले जाने में सक्षम यह मिसाइल को चीन ने पहले अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा गया. जहां मिसाइल ने धरती का एक चक्कर लगाया. इसके बाद अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर यह हाइपरसोनिक स्पीड से दौड़ पड़ा. सबसे बड़ी बात की चीन की तरह अंतरिक्ष से मिसाइल दागने की क्षमता अमेरिका और रुस समेत किसी भी देश के पास नहीं है.
लक्ष्य से 32 किमी दूर गिरा मिसाइल: वहीं फाइनेंशियल टाइम्स की खबर के मुताबिक, चीन की सुपरसोनिक मिसाइल अपने लक्ष्य से महज 32 किलोमीटर दूर गिरा. लेकिन, हाइपरसोनिक मिलाइल के क्षेत्र में चीन की तरक्की से अमेरिका समेत कई देशों के कान खड़े हो गये हैं. गौरतलब है कि अमेरिका, रूस के साथ साथ कई और देश हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं.
क्या होती है हाईपरसोनिक मिसाइल: दरअसल हाइपरसोनिक मिसाइल आम तौर पर बैलिस्टक मिसाईल (Ballistic missiles) की तरह ही काम करती है. पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तरह यह परमाणु हथियार ले जा सकती है. लेकिन खास बात यह है कि इनकी रफ्तार ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक होती है.
रडार से बचने के लिए बदल लेती है रफ्तारः बैलिस्टिक मिसाइल और सुपरसोनिक मिसाइल में एक खास अंतर होता है. बैलिस्टिक मिसाइल से इतर हाइपरसोनिक मिसाइल वायुमंडल में लो ट्रेजेक्टरी पर उड़ान भरती है. इसी कारण है कि यह काफी तेज रफ्तार से अपने टारगेट को भेद देती है. वहीं, रडार से बचने के लिए यह अपनी सपीड को काफी स्लो कर लेती है. ऐसे में इसे ट्रैक कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
Posted by: Pritish Sahay