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Explained : आखिर चीन नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का क्यों कर रहा है विरोध, जाने पूरा मामला

अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का विरोध करते हुए चीन ने धमकी दी है कि इससे अमेरिका को गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. इसके साथ ही, उसने यह भी कहा है कि उसकी सेना किसी भी प्रकार की कार्रवाई के लिए तैयार है.

नई दिल्ली : अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ताइवान यात्रा के तहत आज ताइपे पहुंच गई हैं. अमेरिका का कट्टर प्रतिद्वंद्वी और ताइवान पर कब्जा करने के ख्याल से नजर गड़ाए हुए बरसों से बैठा चीन नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा से पूरी तरह से बौखलाया हुआ है. उनका ताइपे पहुंचने के पहले से ही वह पूरी भूमिका बना रहा था. उसने अमेरिका को खुली चेतावनी देते हुए गंभीर नतीजे भुगतने तक की बात कह दी. इस बीच, सवाल यह पैदा होता है कि आखिर अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा में ऐसा क्या है, जिसका विरोध चीन कर रहा है? यह जानना सबके लिए बेहद जरूरी है. आइए, जानते हैं चीन-ताइवान विवाद का पूरा मामला…

1977 में भी चीन ने न्यूट गिंगरिच का किया था विरोध

मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो करीब ढाई दशक बाद पहला ऐसा मौका है, जब अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी द्वीपीय देश ताइवान की यात्रा कर रही है. इससे पहले वर्ष 1977 में एक प्रतिनिधिमंडल ने ताइवान का दौरा किया था. अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का चीन इस समय भी विरोध कर रहा है और आज से ढाई दशक पहले भी उसने वर्ष 1977 में अमेरिकी प्रतिनिधि न्यूट गिंगरिच के दौरे का विरोध किया था. गिंगरिच बीजिंग ने जाने से पहले ताइवान की यात्रा की थी.

क्या है कारण

अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा का विरोध करते हुए चीन ने धमकी दी है कि इससे अमेरिका को गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. इसके साथ ही, उसने यह भी कहा है कि उसकी सेना किसी भी प्रकार की कार्रवाई के लिए तैयार है. अमेरिकी प्रतिनिधि की ताइवान यात्रा का चीन द्वारा विरोध करने के पीछे अहम कारण यह है कि वह ताइवान को अपने अधीन मानता है. पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) का मानना ​​है कि ताइवान की संप्रभुता चीन की है. पीआरसी की सरकार और समर्थकों का मानना ​​है कि ताइवान के केवल 23 मिलियन निवासियों के बजाय सभी 1.3 बिलियन चीनी नागरिकों द्वारा ताइवान के अलगाव पर सहमति होनी चाहिए.

जो बाइडन को जिनपिंग ने पहले ही दी थी चेतावनी

अमेरिकी प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन के साथ एक फोन पर हुई बातचीत के कुछ दिनों बाद हुई है. फोन पर हुई बातचीत में शी जिनपिंग की ओर से नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर आगे बढ़ने को लेकर विरोध करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति को चेतावनी दी गई थी. सोमवार को अमेरिकी प्रतिनिधिसभा ने सिंगापुर के दौरे के साथ अपने एशियाई दौरे की शुरुआत की. वह ताइवान के साथ ही मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान की यात्रा पर हैं. ताइवान पहुंचने से पहले नैंसी पेलोसी मलेशिया के दौरे पर थीं.

ताइवान की आधिकारिक यात्रा पर नहीं हैं नैंसी पेलोसी

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, नैंसी पेलोसी के सार्वजनिक यात्रा कार्यक्रम में ताइवान का कोई उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन ताइवान के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और एक अमेरिकी अधिकारी ने सोमवार को सीएनएन को बताया कि उनके एशिया दौरे के हिस्से के रूप में ताइवान जाने और रात भर रहने की उम्मीद है. यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में पेलोसी ताइपे में कब उतरेगी.

पहले भी नैंसी पेलोसी चीन को सिखाया हुआ है सबक

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, नैंसी पेलोसी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में चीन के शासकों के साथ एक पहचान बनाई, जब उन्होंने बीजिंग में तियानमेन स्क्वायर पर लोकतंत्र समर्थक बैनर फहराया था. रिपोर्ट में आगे बताया गया कि राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के साथ एक बैठक बुधवार के लिए नैंसी पेलोसी के कार्यक्रम पर है. हालांकि एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि इस तरह की बैठक अभी भी जारी है. नैंसी पेलोसी अमेरिकी संसद में अपने 35 वर्षों के दौरान अधिकांश विदेशी और घरेलू मुद्दों पर एक प्रतिबद्ध उदारवादी नेता के तौर पर जानी जाती हैं. बीजिंग की तियानमेन वाली वह कार्रवाई आज भी नैंसी पेलोसी की उदारवादी नीति की याद दिलाता है. जून में 33वीं वर्षगांठ पर उन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अपने नागरिकों के मानव अधिकारों के हनन में तेजी के खिलाफ मुख्य भूमि पर और पूरे क्षेत्र में अपनी बुनियादी स्वतंत्रता और अधिकारों का प्रयोग करने की मांग करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए समर्थन व्यक्त किया. यही वजह है कि मलेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया की यात्रा के साथ ही अमेरिका ने नैंसी पेलोसी को ताइवान के दौरे पर भेज दिया.

अमेरिका, इंडोनेशिया ने संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों के बीच अमेरिका और इंडोनेशिया ने आपसी संबंधों के और मजबूत होने का संकेत देते हुए बुधवार को सुमात्रा द्वीप में वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू किया, जिसमें पहली बार अन्य देशों ने भी भाग लिया. जकार्ता में अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में बताया कि इस साल इस सैन्य अभ्यास में अमेरिका, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान और सिंगापुर के 5,000 से अधिक जवान हिस्सा ले रहे हैं. इस सैन्य अभ्यास की शुरुआत 2009 से हुई थी. इसके बाद से अब तक इस साल इसमें सर्वाधिक संख्या में जवान भाग ले रहे हैं. बयान में कहा गया कि इस सैन्य अभ्यास का लक्ष्य किसी भी अभियान के दौरान तथा मुक्त एवं स्वतंत्र हिंद प्रशांत के समर्थन में आपसी सहयोग, क्षमता एवं विश्वास को मजबूत करना है. फ्लिन और इंडोनेशिया के सेना प्रमुख जनरल अंदिका परकासा ने दक्षिण सुमात्रा प्रांत के बटुराजा में संयुक्त अभ्यास शुरू किया, जो 14 अगस्त तक चलेगा. इसमें थलसेना, नौसेना, वायुसेना और मरीन सभी भाग ले रहे हैं.

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अमेरिका ताइवान को अकेला नहीं छोड़ेगा : नैंसी पेलोसी

अमेरिका की प्रतिनिधिसभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने बुधवार को कहा कि ताइवान की यात्रा पर पहुंचा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल यह संदेश दे रहा है कि अमेरिका स्वशासी द्वीप के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं से पीछे नहीं हटेगा. चीन के विरोध के बावजूद पेलोसी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ताइवान में कई नेताओं के मुलाकात कर रहा है. ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन के साथ मुलाकात के बाद एक संक्षिप्त बयान में उन्होंने कहा कि आज विश्व के सामने लोकतंत्र और निरंकुशता के बीच एक को चुनने की चुनौती है. ताइवान और दुनियाभर में सभी जगह लोकतंत्र की रक्षा करने को लेकर अमेरिका की प्रतिबद्धता अडिग है. ताइवान को अपना क्षेत्र बताने और ताइवान के अधिकारियों की विदेशी सरकारों के साथ बातचीत का विरोध करने वाले वाले चीन ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के मंगलवार रात ताइवान की राजधानी ताइपे पहुंचने के बाद द्वीप के चारों ओर कई सैन्य अभ्यासों की घोषणा की और कई कड़े बयान भी जारी किए.

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