बीजिंग : चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने मंगलवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों को आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी ताकतों से कड़ाई से निबटते समय पारस्परिक विश्वास को मजबूत करना चाहिए तथा आपसी विवादों और मतभेदों का समाधान वार्ता एवं चर्चा के जरिए करना चाहिए.
एससीओ समूह के राष्ट्र प्रमुखों की परिषद को वीडियो लिंक के माध्यम से संबोधित करते हुए शी जिनपिंग ने कहा कि इतिहास ने साबित किया और साबित करता रहेगा कि अच्छे संबंध और पड़ोसियों से मित्रता मददगार होती है तथा पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग आपसी हित में रहता है.
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में छह महीने से चले आ रहे गतिरोध की पृष्ठभूमि में जिनपिंग ने कहा, ”हमें एकजुटता और पारस्परिक विश्वास को मजबूत करने तथा विवादों एवं मतभेदों का समाधान वार्ता एवं चर्चा से करने की आवश्यकता है.” पीएम नरेंद्र मोदी समेत आठ सदस्य देशों के नेता इस समिट में शामिल हुए.
जिनपिंग ने कहा, ”हमें समान, समग्र और सतत सुरक्षा पर काम करने, सभी तरह के खतरों और चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने तथा हमारे क्षेत्र में मजबूत सुरक्षा माहौल बनाने की आवश्यकता है.”
उन्होंने कहा कि एससीओ के विकास के लिए राजनीतिक आधारशिला को मजबूत करने के क्रम में महामारी का फायदा उठाने के आतंकवादी, अलगाववादी और चरमपंथी ताकतों के प्रयासों को विफल करना, मादक पदार्थों के प्रसार पर रोक, इंटरनेट आधारित चरमपंथी विचारधारा के प्रसार पर रोक लगाना और एससीओ देशों के बीच कानून प्रवर्तन सहयोग को मजबूत करना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
चीनी राष्ट्रपति ने कहा, ”यह महत्वपूर्ण है कि हम जैव सुरक्षा, डेटा सुरक्षा और बाह्य अंतरिक्ष सुरक्षा का समर्थन तथा इस क्षेत्र में सक्रिय संचार और वार्ता करें.” एससीओ के संस्थापक सदस्यों में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. भारत और पाकिस्तान इसमें 2017 में शामिल हुए थे.
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में रूस इस समिट की मेजबानी कर रहा है. यह 17 नवंबर को डिजिटल ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन का भी आयोजन करेगा. भारत भी 30 नवंबर को एससीओ के शासन प्रमुखों की डिजिटल बैठक की मेजबानी करेगा.