Chinese Spy Balloon: अमेरिका-चीन तनाव के लंबे इतिहास का हिस्सा है जासूसी गुब्बारा मामला, जानें
Chinese Spy Balloon: हालांकि, पहली चीनी हवाई वस्तु को चीन द्वारा मौसम विज्ञान से जुड़ा गुब्बारा बता कर बचाव किये जाने पर अमेरिकी अधिकारियों ने संशय जताया, जो दोनों देशों के बीच तनावों के लंबे इतिहास को लेकर चिंतित हैं. ऐसे में चीनी घुसपैठ पर अमेरिका ने अपना तर्क दिया है.
Spy Balloon: यह आश्चर्य की बात नहीं है कि हाल में चीनी गुब्बारे की घटना ने खतरे की घंटी बजाई है. विशाल आकार वाले गुब्बारे को नष्ट करने के लिए एक साइडविंडर मिसाइल के जरिये धीरे-धीरे और बड़ी ही सावधानी के साथ मोंटाना से दक्षिण कैरोलिना तट तक ले जाया गया. वहीं, मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि अलास्का, युकोन और ह्यूरोन झील के ऊपर तीन और संदिग्ध हवाई वस्तुओं को देखा गया, जिन्हें नष्ट कर दिया गया. कनाडा और अमेरिका, दोनों देशों की सरकारों ने इन वस्तुओं को अज्ञात हवाई वस्तु करार देने के लिए विज्ञान ‘फिक्शन’ की भाषा का इस्तेमाल किया.
चीनी घुसपैठ पर अमेरिकी तर्क:
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अमेरिका ने नियमित और ऐतिहासिक रूप से चीन के व्यवहार को आक्रामक बताया है.
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हाल के समय में, अमेरिकियों ने ताइवान के प्रति चीन के खतरनाक रुख, दक्षिण चीन सागर में विस्तारवादी कदमों और अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में वर्चस्व कायम करने की कोशिश करने की बात कही है.
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पिछले साल, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर सर्वाधिक गंभीर दीर्घकालिक चुनौती और चीन द्वारा पैदा की जा रही चुनौती पर ध्यान केंद्रित रखने का वादा किया था.
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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि शुरूआती चीनी जासूसी गुब्बारे को नष्ट किये जाने के बाद उत्तरी अमेरिका के ऊपर नष्ट किये गये तीन हवाई वस्तु चीन के जासूसी गुब्बारा अभियान का हिस्सा प्रतीत नहीं होते हैं और इसके बजाय वे निजी कंपनियों से संबद्ध थे.
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वास्तविक जागरूकता अंतराल:
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गुब्बारे की घटना के बीच, नार्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमान के प्रमुख जनरल ग्लेन वैनहर्क से सवाल किया कि पूर्व में गुब्बारे देखे जाने पर इस तरह की चिंता क्यों नहीं जताई गई.
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उन्होंने जवाब दिया कि हालिया घटनाओं ने जागरूकता अंतराल को उजागर किया है, जिसका मतलब है कि कमान को गुब्बारे जैसी वस्तुओं की अपनी निगरानी क्षमता मजबूत करने की जरूरत है.
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जासूसी और निगरानी के मोर्चे पर दोनों देशों के बीच सदा ही परस्पर संदेह की स्थिति रही है. कई वर्षों तक अमेरिकियों के पास आर्थिक, सैन्य और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में श्रेष्ठता रही.
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वहीं,1960 में एक घटना के तहत, जब एक अमेरिकी यू-2 जासूसी विमान को सोवियत हवाई क्षेत्र में सोवियत संघ (अब विघटित हो चुका) ने मार गिराया था, तब निकिता ख्रुश्चेव पेरिस सम्मेलन से बाहर निकल गये थे, जिसकी तुलना चीनी गुब्बारे के पता चलने के बाद ब्लिंकन के बीजिंग दौरा रद्द करने से की जा रही है.
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बीसवीं सदी में चीन ने क्रमिक रूप से अपनी क्षमताओं को विकसित किया.
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अमेरिका और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा एवं टकराव को लेकर इस्तेमाल किये जाने वाले हथकंडे जासूसी से आगे तक जाते हैं. 1940 के दशक से लेकर 1970 के दशक तक अमेरिका ने चीन को मान्यता देने से इनकार कर दिया और चीनी शासन को नियंत्रित करने की अनगिनत कोशिशें कीं.
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इस तरह चीनी गुब्बारे को दशकों की परस्पर जासूसी के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.
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प्रतिस्पर्धी साम्राज्यों का इतिहास:
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अमेरिका और चीन अतीत की कई बड़ी शक्तियों से समानताएं रखते हैं, जिनमें मिस्र फारस, मंगोल, गुप्त, माया, जुलू, ब्रिटिश, फ्रांसीसी, रूसी, जर्मन, जापानी और अन्य साम्राज्य शामिल हैं. किसी न किसी रूप में ये सभी विस्तारवादी आकांक्षा रखते थे और दूसरों की शक्तियों से चिंतित भी रहते थे.
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गुब्बारे और हवाई वस्तुओं से जुड़ी हालिया घटनाओं के मकसद एवं निहितार्थ को समझने के लिए और सूचनाओं की जरूरत होगी.