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मनुष्य में कोविड-19 का पता लगाने के लिए किया जा सकता है कुत्तों का इस्तेमाल

अमेरिका के वैज्ञानिकों का कहना है कि मनुष्य की लार और मूत्र के नमूनों को सूंघ कर कोविड-19 बीमारी का पता लगाने के लिए वे कुत्तों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.

वाशिंगटन : अमेरिका के वैज्ञानिकों का कहना है कि मनुष्य की लार और मूत्र के नमूनों को सूंघ कर कोविड-19 बीमारी का पता लगाने के लिए वे कुत्तों को प्रशिक्षण दे रहे हैं.

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पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विभाग के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम में गंध पहचानने की क्षमता वाले कुत्तों का प्रयोग यह पता करने के लिए किया जाएगा कि कौन से नमूने कोविड-19 बीमारी से ग्रसित मरीजों के हैं और कौन से नहीं. अनुसंधानकर्ताओं ने एक वक्तव्य जारी कर कहा कि कुत्तों में तीस करोड़ घ्राण कोशिकाएं होती हैं जबकि मनुष्यों में केवल साठ लाख.

इसलिए बीमारी का पता लगाने में कुत्ते विशेष रूप से सहायक हो सकते हैं. इस अध्ययन के द्वारा कुत्तों की सहायता से उन लोगों में कोविड-19 का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा जिनमें इस बीमारी के लक्षण नहीं दिखाई देते.

अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार सूंघकर कोविड-19 का पता लगाने में सक्षम कुत्तों का इस्तेमाल अस्पताल या व्यावसायिक इमारतों में किया जा सकेगा जहां बीमारी की जांच करना चुनौतीपूर्ण होता है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित कुत्तों द्वारा मनुष्यों की आरंभिक जांच करने प्रकिया जुलाई से शुरू की जा सकती है .

पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विभाग में प्रोफेसर सिंथिया ओटो का कहना है, “गंध पहचानने वाले कुत्ते वोलेटाइल ऑर्गेनिक यौगिकों (वीओसी) की अल्प मात्रा का सटीकता से पता लगा सकते हैं. इस प्रकार के यौगिक अंडाशय के कैंसर, बैक्टीरिया जनित संक्रमण और नाक के ट्यूमर में पाए जाते हैं. ये यौगिक मनुष्य के रक्त, लार, मूत्र और सांस में भी होते हैं.”

ओटो ने एक वक्तव्य में कहा, “इन कुत्तों की क्षमता कोविड-19 का पता लगाने में बहुत कारगर सिद्ध हो सकती है.” अनुसंधानकर्ता शुरुआत में आठ कुत्तों के साथ अध्ययन शुरु करेंगे. उन्होंने कहा कि तीन सप्ताह तक कुत्तों को कोविड-19 बीमारी से ग्रसित मनुष्यों की लार और मूत्र की गंध से परिचित कराया जाएगा. इसके बाद उनका परीक्षण किया जाएगा कि वह सूंघकर कोविड-19 के मरीजों का पता लगा पाते हैं या नहीं. कोरोना वायरस से बचाव के लिए इसके वैक्सीन की भी खोज जारी है. कई देश अपने – अपने वैज्ञानिकों के साथ इस वायरस से बचाव के लिए दवा खोजने में लगे हैं.

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