चीन की लैब में ही बना Coronavirus, एक हादसे से पूरी दुनिया में फैला, जानिए पूरी हकीकत

Is Corona Virus Man Made :कोविड-19 वारयस के बारे में कहा जाता है कि इसकी उत्पति प्राकृतिक तरीके से हुई थी. कहा यह जा रहा है कि COVID 19 वायरस एक प्राकृतिक उत्परिवर्तन का परिणाम था और यह कि इंसानों को पैंगोलिन के माध्यम से चमगादड़ों से प्रेषित किया गया था. पर इसके बीच यह बात भी सामने आ रही है कि, कोविड-19 वायरस मानव द्वारा बनाया गया वायरस है जिसकी उत्पत्ति वुहान के लैब में हुई थी. 1983 में एचआईवी पीड़ितों की खोज करने वाले डॉ ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने इस बात का दावा भी किया है.

By Panchayatnama | April 19, 2020 12:38 PM

दुनियाभर के 22.5 लाख से अधिक लोगों को अपनी चपेट कोविड-19 वारयस के बारे में कहा जाता है कि इसकी उत्पति प्राकृतिक तरीके से हुई थी. कहा यह जा रहा है कि COVID 19 वायरस एक प्राकृतिक उत्परिवर्तन का परिणाम था और यह कि इंसानों को पैंगोलिन के माध्यम से चमगादड़ों से प्रेषित किया गया था. पर इसके बीच यह बात भी सामने आ रही है कि, कोविड-19 वायरस मानव द्वारा बनाया गया वायरस है जिसकी उत्पत्ति वुहान के लैब में हुई थी. 1983 में एचआईवी पीड़ितों की खोज करने वाले डॉ ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने इस बात का दावा भी किया है.

मेडिसिन के लिए 2008 के नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने कहा कि SARS-CoV-2 एक हेरफेर किया हुआ वायरस है जो गलती से वुहान की प्रयोगशाला से जारी किया गया था. कहा जाता है कि चीनी शोधकर्ताओं ने एड्स के टीके को विकसित करने के लिए अपने काम में कोरोना वायरस का उपयोग किया है. माना जाता है कि HIV RNA के टुकड़े SARS-CoV-2 जीनोम में पाये गये हैं.

लेकिन कोविड-19 महामारी को लेकर किया गया एक शोध पूरी तरह से अलग कहानी बताती है कि यह दुनिया भर में 110,000 से अधिक मौतों के लिए पहले से ही जिम्मेदार है. 2008 में चिकित्सा के लिए नोबेल पुरस्कार के विजेता प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर के अनुसार फ्रांस्वा बर्रे-सिनौसी के साथ एड्स महामारी के लिए जिम्मेदार एचआईवी की खोज के दौरान SARS-CoV-2 वायरस में हेरफेर किया गया था. जिसे वुहान में एक प्रयोगशाला में 2019 की आखिरी महीनों में गलती से जारी किया गया था. प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर के अनुसार कोरोना वारयस पर काम करने वाली इस प्रयोगशाला ने एड्स के टीके की खोज करने के दौरान एचआईवी के लिए वेक्टर के रूप में इनमें से एक वायरस का उपयोग करने की कोशिश की होगी.

प्रोफेसर मॉन्टैग्नियर ने अपने सहकर्मी, जैव-गणितज्ञ जीन-क्लाउड पेरेज़ के साथ इस आरएनए वायरस के जीनोम के विवरण का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया. भारतीय शोधकर्ताओं ने पहले ही विश्लेषण के परिणामों को प्रकाशित करने की कोशिश की है जिसमें पता चला है कि कोरोनावायरस के जीनोम में एक और वायरस एचआईवी वायरस (एड्स वायरस) के अनुक्रम होते हैं.

जांच के दौरान डॉ जीन-फ्रांस्वा लेमोइन ने अनुमान लगाया हो सकता है कोरोनावायरस एक ऐसे मरीज से आया है जो शायद एचआईवी से संक्रमित रहा हो, पर डॉ ल्यूक मॉन्टैग्नियर की राय इस बारे में अलग है. उनका मानना है कि इस जीनोम में एचआईवी अनुक्रम डालने के लिए, आणविक उपकरणों की आवश्यकता होती है, और यह केवल एक प्रयोगशाला में किया जा सकता है. डॉ ल्यूक मॉन्टैग्नियर के अनुसार यह महज कहने की बात हैं कि वुहान प्रयोगशाला में दुर्घटना घटी होगी, हो सकता है एड्स के टीके की खोज करने के दौरान इस वायरस की उत्पत्ति हुई होगी.

प्रोफेसर ल्यूक मॉन्टैग्नियर द्वारा किये गये शोध के अनुसार, इस वायरस के परिवर्तित तत्व फैलते ही समाप्त हो जाते हैं. प्रकृति किसी भी आणविक छेड़छाड़ को स्वीकार नहीं करती है. भले ही कुछ भी न किया जाये यह इन अप्राकृतिक परिवर्तनों को समाप्त कर देगी पर तब तक तक पूरी दुनिया में कोरोना से कई मौत हो चुकी होगी. पर लॉकडाउन के जरिये हम इस महामारी के चेन को तोड़ सकते हैं.

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