New Coronavirus destroyed due to hot sunlight कोरोनावायरस के नए लक्षणों का पता चला है. एक नए शोध में पता चला है कि अब जो कोरोना का संक्रमण हो रहा है वो सूरज की तीखी रोशनी से जल्द नष्ट हो जा रहा है. हालांकि, इस शोध पर अभी काम चल रहा है.
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी सलाहकार विलियम ब्रायन ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं को यह जानकारी देते हुए कहा है कि सरकारी वैज्ञानिकों ने पराबैंगनी किरणों के शक्तिशाली प्रभाव से कोरोना के संक्रमण को जल्द कम होते पाया है.
उन्होंने बताया कि हमारी रिसर्च की खास बात यह है कि सोलर लाइट सतह और हवा दोनों में इस वायरस को मारने की क्षमता रखता है. आपको बता दें कि सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों का स्टरलाइज़िंग प्रभाव होता है, क्योंकि विकिरण वायरस की जेनेटिक मैटिरियल और उनके फैलने की क्षमता को रोकती है.
उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा है कि अगर यह शोध सही पाया गया तो उम्मीद है कि इस गर्मी में इसका प्रसार कम हो पायेगा. उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस बेहद खतरनाक है. कई और तरह के वायरस हमारे वायुमंडल में मौजूद हैं. जो मौसम के अनुसार प्रभाव डालते है. लेकिन, यह वायरस काफी प्रभावशाली है, गर्मी और ठंड दोनों मौसम में प्रभाव डाल रहा है. अब देखना है कि अत्यधिक तेज गर्मी में इसका प्रभाव कैसा रहता है.
आपको बता दें कि यह शोध मैरीलैंड में नेशनल बायोडेन्स एनालिसिस एंड काउंटरमेशर्स सेंटर में किया गया था. शोध पर काम कर रहे वैज्ञानिक ब्रायन ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि वायरस का जीवन आधा पाया गया जब सूर्य की किरणें काफी तेज थी. इस शोध में पाया गया कि 21 से 24 डिग्री सेल्सियस ( 70 से 75 डिग्री फारनेहाइट) तापमान (20 फीसदी नमी) में करीब 18 घंटे में वायरस आधा खत्म हो गया. दरवाजों के हैंडल और स्टेनलेस स्टील पर भी इसका असर इसी तरह का देखा गया. हालांकि, नमी को 80 फीसदी बढ़ाए जाने के बाद आधा वायरस 6 घंटे में खत्म हो गया. जब इसी परीक्षण को सूरज की किरणों के बीच किया गया तो इसे खत्म होने में दो मिनट लगे.
पराबैंगनी किरणें सूर्य से निकलने वाली ऊर्जा का एक प्रकार हैं. कुछ कृत्रिम स्त्रोत से भी यह ऊर्जा बनायी जा सकती है. पराबैंगनी किरणों को आप सूर्य की रोशनी या गर्मी की तरह देख और महसूस नहीं कर पाते हैं. इस कारण पराबैंगनी किरणों से होने वाले नुकसान के बाद ही आपको इनके बारे में पता चलता है. इन किरणों से आपको सनबर्न, टैनिंग और समय से पहले त्वचा में बुढ़ापे के लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं. इसके अलावा पराबैंगनी किरणें आपकी आंखों को भी नुकसान पहुंचती हैं. शोध के अनुसार यही किरणें वायरस को समाप्त कर सकती है.
आपको बता दें कि, इस वायरस से पूरी दुनिया बुरी तरह प्रह प्रभावित हुई है. अमेरिका में तो मौत आंकड़ा 50000 के करीब पहुंच चुका है वहीं भारत में इसका प्रसार लगातार बढ़ता ही नजर आ रहा है. ऐसे में इस शोध से लोगों को काफी उम्मीद जगेगी.