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कोरोनावायरस के कहर से चीन के सबसे बड़े ‘प्लान’ को लगा झटका, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

चीन के बाद अगर कोई देश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं तो वो दक्षिण कोरिया और इटली हैं. ईरान भी बहुत पीछे नहीं है.

चीन के वुहान शहर से शुरू होने वाला कोरोनावायरस अभी तक 60 से अधिक देशों में फैल चुका है. इस वायरस से मरने वालों का आंकड़ा तीन हजार के पार पहुंच चुका है. वहीं करीब एक लाख लोग इश खतरनाक वायरस के चपेट में हैं. कोरोना के कहर से चीन के अर्थव्यवस्था पर खतरा मंडरा रहा है. अब जो खबर आई है उसके मुताबिक कोरोना के कहर से चीन के सबसे बड़े प्लान को भी झटका लग है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस महत्वकांक्षी योजना का नाम है वन बेल्ट वन रोड जिसे बेल्ट एंड रोड पहल नाम से भी जाना जाता है. इस योजना का मकसद है यह तीन महादेशों- एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सीधे तौर पर जोड़ना. किसी एक देश का दुनिया में यह सबसे बड़ा निवेश माना जा रहा है.

लेकिन अब खबर है कि चीन की इस पहल को कोरोना का झटका लगा है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, वन बेल्ट वन रोड का निर्माण फिलहाल बंद है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी कर्मचारियों को विदेशी निर्माण साइट पर नहीं जाने दिया जा रहा है, विदेशी परियोजना के लिए काम कर रहे घरेलू कंपनियों में श्रमिकों की कमी हो गई है और क्योंकि ऐसा डर है कि इन श्रमिकों से स्थानीय लोगों को वायरस का खतरा पैदा हो सकता है.

कोरोना वायरस विदेशों में चीनी निर्माण और निवेश में बाधा पैदा कर रहा है जिससे चीन की वर्षों की योजना व अरबों डॉलर की आर्थिक कूटनीति के लिए खतरा पैदा हो गया है. इससे पहले कोरोना के कहर से इंडोनेशिया की 5.5 बिलियन डॉलर की हाई स्पीड रेल लाइन पर भी ब्रेक लगा था. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, कई देशों ने चीनी नागरिकों को या तो बैन कर दिया है या फिर उन्हें अलग केंद्र में रखा जा रहा है.

इसका सीधा असर वन बेल्ट वन रोड परियोजना पर पड़ रहा है. बता दें कि बेल्ड एंड रोड के तहत मलयेशिया, श्रीलंका और पाकिस्तान में भी चीन कई परियोजनाएं चला रहा है. चीन के बाद अगर कोई देश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं तो वो दक्षिण कोरिया और इटली हैं. ईरान भी बहुत पीछे नहीं है. दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण के नब्बे हज़ार से अधिक मामले सामने आए हैं लेकिन इनमें से लगभग अस्सी हज़ार मामले अकेले चीन में ही हैं. शोधकर्ताओं ने अभी तक के आंकड़ों के आधार पर पाया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित प्रति एक हजार में से एक शख्स की मौत हुई है.

आखिर क्या है यह प्रॉजेक्ट और चीन इसे क्यों पूरा करना चाहता है?

यह तीन महादेशों- एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सीधे तौर पर जोड़ेगा. किसी एक देश का दुनिया में यह सबसे बड़ा निवेश है. वन बेल्ट वन रोड चीन द्वारा प्रायोजित एक योजना है जिसमे पुराने सिल्क रोड के आधार पर एशिया, अफ्रीका और यूरोप के देशों को सड़कों और रेल मार्गो से जोड़ा जाना है. इस समझौते के तहत चीन के जेट विमान, हथियार आदि निर्माण को पाकिस्तान सहित अन्य देशों में विस्तार दिया जाना है.

यह चीन में ऊर्जा आपूर्ति करने के लिए भी अहम है. यह पहल एशिया में बड़ी ताकत बनने के चीन के लक्ष्य को पूरा कर सकती है. दावा किया जा रहा है कि इससे आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी होंगे. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2013 में कजाकिस्तान में एक भाषण में सिल्क रोड आर्थिक बेल्ट के अपने नजरिए की रूपरेखा पेश की. शुरुआत में यह विचार मध्य एशिया में ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर की फाइनैंसिंग के लिए था.

महीनों के भीतर, चीन ने बंदरगाह और दूसरी चीजों का एंगल जोड़ दिया. तय किया गया है कि प्रॉजेक्ट में 65 देशों की 4.4 अरब आबादी के साथ ग्लोबल जीडीपी का 2.1 पर्सेंट हिस्सा जुड़ा होगा.

चीन के इस पहल से भारत को दिक्कत

वन बेल्ट वन रोड प्रॉजेक्ट का एक अहम हिस्सा है- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा. यह परियोजना पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय इलाके गिलगित बाल्टिस्तान से गुजरेगा. गिलगित बाल्टिस्तान कानूनन भारत का हिस्सा है, जो जम्मू-कश्मीर के अंदर आता है. हालांकि यह क्षेत्र बरसों से पाकिस्तान के कब्जे में है, लेकिन बिना भारत की सहमति के इस इलाके में कोई द्विपक्षीय परियोजना बनाना इतना आसान नहीं है. भारत इस पूरे प्रॉजेक्ट पर अपनी चिंता कई बार साफ कर चुका है.

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