दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के नये – नये वेरिएंट का पता चल रहा है, कोरोना हर बार अपना स्वरूप बदल रहा है. कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को खतरा है. हर बार बदल रहे कोरोना के स्वरूप से लड़ने के लिए अब वैज्ञानिक पूरी तरह तैयार हैं. अध्ययन ‘साइंस सिग्नलिंग’ पत्रिका में प्रकाशित हुआ है जिसमें इस संबंध में विस्तार से जानकारी दी गयी है.
कोरोना संक्रमण के सार्स-सीओवी-2 वायरस का इलाज अब संभव है साथ ही भविष्य में वैश्विक महामारियों से निपटने की भी तैयारी पूरी कर ली गयी है. इसकी दवा के लिए एक नये लक्ष्य का पता चला है.
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भाषा की खबर के अनुसार अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी फिनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन के अनुसंधानकर्ताओं ने जानकारी दी है कि वैश्विक स्तर पर कोरोना संक्रमण से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है फिनबर्ग स्कूल ऑफ मेडिसिन में माइक्रोबायोलॉजी-इम्युनोलॉजी के प्रोफेसर कारला सैचेल ने कहा, हम पूरे विश्व के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करते हैं ईश्वर करे कि इसकी जरूरत ना हो लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो हम इससे निपटने के लिए तैयार हैं.
दुनिया भर में संक्रमण से लड़ने के लिए नयी दिशा में सोचने की जरूरत है. इसके लिए जरूरी है कि भविष्य में संक्रमण के शुरुआती चरण में ही काम करें. इसके फैलने का इंतजार ना करें और बेहतर इलाज संभव हो. इन दवाओं का इस्तेमाल करके आपको गंभीर रूप से बीमार होने से बचाने की कवायद होगी. तीन नये प्रोटीन ढांचों का त्रिआयामी दृश्यों में चित्रण किया है और तंत्र में एक गुप्त पहचानकर्ता की खोज की है जो वायरस को प्रतिरक्षा तंत्र से छिपने में मदद करता है.
वायरस प्रोटीन एनएसपी16 के ढांचे को चित्रित करते हुए बताया ग9या है कि यह कोरोना वायरस में मौजूद रहता है. इसी से कोरोना संक्रमण को लेकर अहम जानकारियां हासिल होती है. यह सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ दवा के विकास में मददगार साबित हो सकता है.
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एनएसपी 16 प्रोटीन में कोरोना वायरस उन्मुखी विशिष्ट स्थान का पता लगाया है जो वायरस के जीनोम टुकड़े को जोड़ता है . इस हिस्से का इस्तेमाल कोरोना वायरस अपने सभी वायरस निर्माण ढांचों को बढ़ाने के लिए करता है.