कोरोना वायरस के संक्रमण से जुझ रहा अमेरिका सबसे अधिक मरीजों और मौत के मामले में नंबर एक पर है. चीन को चेतावनी और वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की फंडिंग रोकने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के बीच देश में एक बार फिर कोरोना संक्रमण के नये मामलों में तेजी दर्ज की गई है. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में पिछले 24 घंटों में 2,228 लोगों की कोरोना वायरस के कारण मौत हो गई है. इसी के साथ अमेरिका में कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या अब 26 हजार से ज्यादा हो गयी है साथ ही संक्रमितों की संख्या छह लाख से ज्यादा है.
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मंगलवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ का फंड बंद करने का निर्देश दिया है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने से रोकने में डब्लूएचओ बुनियादी काम करने में भी नाकाम रहा है. ट्रंप ने आरोप लगाया कि जब चीन से कोरोना वायरस के संक्रमण की शुरुआत हुई तो संयुक्त राष्ट्र का यह संगठन इसे संभालने में नाकाम रहा है और असली तस्वीर छुपाता रहा. ट्रंप ने कहा कि चीन परस्त डब्लूएचओ की जवाबदेही तय की जानी चाहिए. इससे पहले ट्रंप लगातार चीन और डब्लूएचओ पर हमला बोल रहे थे. कोरोना से अमेरिका बेहाल है. ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना हो रही है कि उन्होंने देश के भीतर इस महामारी को रोकने में ठीक से काम नहीं किया.
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अमेरिका डब्लूएचओ को सबसे ज़्यादा फंड देता है. पिछले साल अमरीका ने डब्लूएचओ को 40 करोड़ डॉलर का फंड दिया था. व्हाइट हाउस में मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा कि वो देश में सब कुछ सामान्य करने को लेकर काम कर रहे हैं. अमेरिकन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकेने में डब्लूएचओ की क्या भूमिका रही, इसकी समीक्षा की जाएगी.
जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की महामारी फैली हुई ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप ने डब्लूएचओ का फंड रोकने का फैसला किया है. इससे पहले ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र को दिए जाने वाले फंड पर भी सवाल उठाए थे और वैश्विक जलवायु समझौते से भी अमरीका को अलग कर लिया था. ट्रंप के निशाने पर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन भी रहा है. ट्रंप ने बीते दिनों कहा था कि अमेरीका डब्लूएचओ को हर साल 40 से 50 करोड़ डॉलर देता है जबकि चीन महज चार करोड़ डॉलर ही देता है. अमरीकी राष्ट्रपति ने कहा था कि डब्लूएचओ अगर चीन में जाकर जमीन पर हालात देखा होता और वहां की पारदर्शिता के बारे में बताया होता तो अभी जैसी भयावह स्थिति है वैसी कभी नहीं होती.