COVID-19: कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौतें इटली में ही क्यों? आंकड़ा 10,000 के पार

इटली में स्थिति फिलहाल ऐसी है जहां मुर्दा घर शवों से भर गए हैं और मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. यूरोप के किसी भी दूसरे देश की तुलना में कोरोना वायरस इटली में अधिक तेजी से फैल रहा है और 10 हजार से अधिक लोगों की जान ले चुका है.

By Utpal Kant | March 29, 2020 8:34 AM
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दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे भयानक त्रासदी झेल रहे इटली में शनिवार एक और काला दिन साबित हुआ. यहां घातक कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या 10,000 पार कर गयी. यह पूरी दुनिया का एक-तिहाई हिस्सा है. दुनियाभर में अब तक करीब 30,000 लोगों की मौत कोरोना के कारण हो गई है. सबसे खराब हालात यूरोप में हैं जहां 20,000 लोगों की जान चली गयी है. कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या की तालिका में इटली सबसे ऊपर है. लॉकडाउन होने के बाद भी इटली में कोरोना का खतरा हर रोज बढ़ रहा है. देश में कोविड-19 से संक्रमित लोगों के 5,974 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमण के कुल मामले 92,472 हो गए हैं. इटली के प्रधानमंत्री जिजेज्पी कौंटे ने देश को भरोसा दिया है कि इटली में लगाए गए वर्तमान आपातकाल कि मियाद जो कि तीन अप्रैल को खत्म हो रही है, उससे पहले ही वहां के लोग सामान्य जिंदगी जीने लगेंगे. लेकिन जिस तरह के आंकड़े इटली से आ रहे हैं, उससे फिलहाल स्थिति संभलती नहीं दिख रही है. इटली का लोम्बार्डी क्षेत्र सबसे अधिक संकटग्रस्त है. लोम्बार्डी में ही पिछले 24 घंटों में कुल 541 लोगों की मौत हुई है.

इटली में स्थिति फिलहाल ऐसी है जहां मुर्दा घर शवों से भर गए हैं और मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन कोरोना वायरस का संक्रमण इटली में इस स्तर पर कैसे पहुंच गया? क्या वजह है कि यूरोप के किसी भी दूसरे देश की तुलना में कोरोना वायरस इटली में अधिक तेजी से फैल रहा है और 10 हजार से अधिक लोगों की जान ले चुका है. इटली में आधिकारिक तौर पर कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत 20 फरवरी से हुई. जब एक 38 वर्षीय व्यक्ति ने लोम्बार्डी के कोडोग्नो कस्बे में अपनी जांच करायी. जब जांच रिपोर्ट आई तो यह व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया. यह इटली का पहला आधिकारिक तौर पर दर्ज कोविड-19 केस था. हालांकि कुछ स्वास्थ्य अधिकारी ये मानते हैं कि इटली में इस वायरस का प्रवेश बहुत पहले हो गया था.

अच्छा… तो इटली से हो गयी ये गलती

इटैलियन नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ में डिपार्टमेंट ऑफ इंफेक्शियस डिजीज के एक शोधकर्ता के मुताबिक़, इटली में यह वायरस काफ़ी वक़्त पहले ही पहुंच चुका था. इटली में पहला केस आने से पहले देश के उत्तरी हिस्से में न्यूमोनिया के कई मामले थे. यह आधिकारिक तौर पर पुष्ट है क्योंकि लोम्बार्डी के कोडोग्नो कस्बे के अस्पताल में कई ऐसे मामले आए थे जिसमें लोगों को निमोनिया की शिकायत थी. ऐसे में संभव है कि जो लोग इलाज के लिए आए हों वो वायरस से संक्रमित रहे हों लेकिन उनका इलाज वायरस संक्रमण समझकर नहीं बल्कि फ्लू या फिर निमोनिया पीड़ित समझकर किया गया हो. ऐसे में ये लोग वायरस के प्रसार के कारण हो सकते हैं. लोम्बार्डी का उत्तरी क्षेत्र इस वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित है. पूरे देश के संक्रमित लोगों में से 85 फीसदी इस क्षेत्र से हैं और जितनी मौतें इटली में हुई हैं उनमें से 92 फीसदी मौतें इस इलाक् से हैं. इटली के सभी 20 प्रांत में संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं. कुछ अधिकारियों का मानना है कि क्योंकि यह वायरस बिना पहचान में आए फैलता रहा. इस वजह से अब संक्रमण बढ़ने पर इटली में हर रोज सैकड़ों की संख्या में मौतें हो रही हैं.

इटली में बुज़ुर्गों की संख्या ज्यादा

हालांकि कुछ अधिकारी ये भी मानते हैं कि चूंकि इटली में किसी भी यूरोपीय देश की तुलना में अधिक टेस्ट किए जा रहे हैं इसलिए यहां संक्रमित लोगों की संख्या इस कदर बढ़ती हुई दिख रही है. नेशनल हेल्थ इंस्टिट्यूट के मुताबिक़, इटली में अभी तक कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जितने लोगों की मौत हुई है अगर उनकी औसत उम्र निकालें तो यह 81 बरस आती है.यूनाइटेड नेशंस (यूएन) के मुताबिक, जापान के बाद इटली दूसरा ऐसा देश है जहां सबसे ज्यादा बुज़ुर्ग हैं. इसका मतलब यह भी है कि अगर ये लोग कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो इनके गंभीर बीमार होने का सबसे ज्यादा खतरा है.

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