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संकीर्ण राष्ट्रवाद और जमाखोर कोरोना महामारी के खात्मा में बाधक, WHO चीफ बोले- 2022 Covid-19 का आखिरी साल

End of Coronavirus Pandemic: डॉ अधनोम ने कहा है कि कोरोना वायरस अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है, क्योंकि दुनिया में वैक्सीन की असमानता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2022 8:12 PM

End of Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस के नये और बेहद संक्रामक वैरिएंट ओमिक्रॉन के तेजी से फैलते मामलों के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक उम्मीद जगाने वाली बात कही है. WHO के निदेशक ने पूरे यकीन से कहा है कि अगर संकीर्ण राष्ट्रवाद से ऊपर उठकर सभी देश एक-दूसरे से अपना वैक्सीन साझा करें, तो वर्ष 2022 में ही वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (Coronavirus Pandemic) के संक्रमण का खात्मा हो सकता है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि संकीर्ण राष्ट्रवाद और वैक्सीन के जमाखोर इसमें बाधक साबित हो सकते हैं.

WHO के निदेशक डॉ टेड्रस अधनोम ने रविवार को कहा कि अगर विकसित देश अपने वैक्सीन (Vaccine) अन्य देशों से साझा करेंगे, तो कोरोना का खात्मा तय है. डॉ अधनोम ने कहा है कि कोरोना वायरस अपने तीसरे साल में प्रवेश कर चुका है, क्योंकि दुनिया में वैक्सीन की असमानता है. जितनी ज्यादा वैक्सीन की असमानता होगी, वायरस के विकसित होने का जोखिम उतना ही ज्यादा होगा. कोरोना का हर नया वैरिएंट पुराने वैरिएंट से ज्यादा संक्रामक होगा. हम इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते कि अगला वैरिएंट कितना संक्रामक हो सकता है.

WHO के निदेशक डॉ टेड्रस अधनोम ने एक बयान जारी कर कहा है कि बुरुंडी, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगोस चाड और हैती जैसे देशों में वैक्सीनेशन (Vaccination) की रफ्तार अब भी बहुत कम है. इन देशों में एक फीसदी से भी कम लोगों को अब तक कोरोना से प्रतिरक्षा देने वाला टीका लगा है. दूसरी तरफ, विकसित देशों में 70 फीसदी से अधिक लोग वैक्सीन का सुरक्षा चक्र हासिल करचुके हैं. जब तक इस असमानता को हम खत्म नहीं कर लेते, कोरोना को हम पूरी तरह से नहीं हरा पायेंगे.

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उन्होंने यह भी कहा कि जब तक हम कोरोना को पूरी तरह से परास्त नहीं कर लेंगे, तब तक जनजीवन के सामान्य होने की कल्पना भी नहीं कर सकते. WHO के निदेशक ने कहा कि कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से दुनिया भर में फैल रहा है. ग्लोबल वैक्सीन फैसिलिटी कोवैक्स COVAX, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और उसके सहयोगी संगठन जरूरतमंदों की कोरोना जांच, उन तक वैक्सीन पहुंचाने में जुटे हुए हैं. जरूरतमंदों को इलाज की भी सुविधा मुहैया कराने में ये संगठन जुटे हैं.

वैक्सीन से बची लाखों लोगों की जान

WHO का कहना है कि वैक्सीन की वजह से अब तक लाखों लोगों को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सका है. जितनी तेजी से लोगों का वैक्सीनेशन होगा, कोरोना की रफ्तार उतनी ही कमजोर होगी. डॉ टेड्रस अधनोम ने कहा कि अब तो हमारे पास कोरोना से सुरक्षा के किट्स भी उपलब्ध हैं और इससे संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए नयी दवाएं भी मिल गयी हैं. डॉ अधनोम ने बूस्टर डोज पर भी जोर दिया.

कहा कि यूके हेल्थ सेक्रेटरी एजेंसी (UKHSA) के आंकड़े बताते हैं कि बूस्टर डोज हॉस्पिटलाइजेशन को कम करता है. अस्पताल में दाखिल म्यूटेंट स्ट्रेन के 815 मामलों में 608 ऐसे लोग थे, जिनको बूस्टर डोज नहीं लगा था. आंकड़े बताते हैं कि अगर बूस्टर डोज दे दिया जाये, तो हॉस्पिटलाइजेशन का जोखिम 88 फीसदी तक कम हो जायेगा.

Posted By: Mithilesh Jha

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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