चीन फिलहाल कोविड संक्रमण और इससे होने वाली मौतों की गंभीर लहर का सामना कर रहा है. चीन से लगातार खबरें आ रही हैं कि वहां रोजाना लाखों की संख्या में लोग कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं, तो हजारों की संख्या में लोगों की रोजाना मौत हो रही है. चीन में कोरोना खतरे के बाद पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है. कोरोना की नयी लहर को देखते हुए भारत सहित कई देशों ने एहतियातन चीन से अपने यहां आने वाले यात्रियों पर सख्ती बढ़ा दी है. हालांकि इस बीच एक रिपोर्ट में थोड़ी राहत वाली खबर सामने आ रही है. जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि चीन में कोरोना से तबाही के बाद भी बाकी दुनिया में खतरा कुछ कम है.
बाकी दुनिया के लिए क्या खतरा है?
इस लहर की शुरुआत में चीन के विपरीत, अधिकांश देश के लोगों को वायरस से हाई इम्यूनिटी मिल चुकी थी. यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल के अनुसार चीन में कोविड मामलों में होने वाली वृद्धि से यूरोप में कोविड की स्थिति पर फर्क पड़ने की आशंका नहीं है. इसके अलावा, चीन में सामने आए अधिकांश वैरिएंट बीए.5.2 और बीएफ.7 के सब वैरिएंट हैं. ये सब वैरिएंट पिछली गर्मियों में यूरोप में चरम पर थे और इनमें गिरावट जारी है. इसलिए यूरोप में चीन के जरिए बड़े पैमाने पर संक्रमण फैलने की आशंका नहीं है. इस तरह दूसरे महाद्वीप के देश चीन से प्रभावित होंगे, इसकी आशंका भी कम ही नजर आ रही है.
चीन में यह नौबत कैसे आई और इससे कैसे निकला जा सकता है?
कहा जा रहा है कि चीन में ‘जीरो कोविड पॉलिसी‘ के तहत लगी पाबंदियां दिसंबर की शुरुआत में हटाए जाने के कारण ही संक्रमण की यह मौजूदा लहर आई है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है. पाबंदियों में ढील दिए जाने से पहले ही चीन में मामले बढ़ रहे थे. एक अप्रकाशित रिपोर्ट में पता चला है कि पहली बूस्टर डोज लेने के आठ महीने बाद संक्रमण से मिली हर तरह की सुरक्षा खत्म हो जाती है. गंभीर बीमारियों से मिली सुरक्षा लंबी चलती है, लेकिन उसका भी अंत हो जाता है.
कैसे लगाई जा सकती है प्रकोप पर लगाम?
चीन की मौजूदा लहर आने वाले समय में चरम पर पहुंचेगी और फिर कमजोर होगी. लेकिन यह चरम पर कब पहुंचेगी, और कितनी गंभीर होगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वास्तव में संक्रमण के कितने मामले सामने आ रहे हैं- लेकिन हम आंकड़ों के बारे में सचमुच कुछ नहीं जानते. स्वास्थ्य के बारे में आंकड़े देने वाली ब्रिटिश संस्था ‘एयरफिनिटी’ ने अनुमान लगाया है कि एक दिसंबर से अब तक संक्रमण के 3 करोड़ 32 लाख मामले आए और 1,92,400 मौतें हुई हैं. लेकिन चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग की एक बैठक से लीक हुई जानकारी के अनुसार अनुमान है कि दिसंबर के पहले 20 दिन में करीब 25 करोड़ लोग (जनसंख्या का 18 फीसदी हिस्सा) संक्रमित हुए थे.
चीन को अब क्या करना चाहिए?
वास्तव में इस प्रकोप की दिशा के बदलने में बहुत देर हो सकती है. इस प्रकोप के दौरान ‘आरओ’ 10 से ज्यादा और अधिक से अधिक 18 रहा है. ‘आरओ’ का अर्थ होता है कि एक संक्रमित व्यक्ति कितने लोगों में वायरस फैला सकता है. ‘आरओ’ इतना अधिक होने पर लॉकडाउन, स्कूल बंद करना और मास्क पहनना संक्रमण के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त नहीं होता. चीन फिलहाल जो सबसे महत्वपूर्ण काम कर सकता है, वह है अपनी वृद्ध और अधिक संवेदनशील आबादी के बीच टीके के उपयोग को बढ़ावा देना.