Coronavirus: कोरोनी महामारी के लिए हर्ड इम्यूनिटी के प्रयोग से हो सकती हैं ढेर सारी मौतें, अमेरिकी महामारी विशेषज्ञ ने कही ये बात

Coronavirus: कोरोन वायरस के कारण से सारा विश्व परेशान है. कोरोना को लेकर अमेरिका के प्रमुख महामारी विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने बताया है कि अगर कोरोना वायरस के लिए हर्ड इम्यूनिटी का प्रयोग करने से बहुत बड़े पैमाने पर मौतें होंगी. उन्होंने कहा कि अगर हर कोई कोरोना से संक्रमित हो जाए और ऐसे लोगों का परसेंटेज काफी रहे जो बिना लक्षण के बीमार हों, तब भी काफी अधिक लोगों की मौतें होंगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 17, 2020 11:53 PM

कोरोन वायरस के कारण से सारा विश्व परेशान है. कोरोना को लेकर अमेरिका के प्रमुख महामारी विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची ने बताया है कि अगर कोरोना वायरस के लिए हर्ड इम्यूनिटी का प्रयोग करने से बहुत बड़े पैमाने पर मौतें होंगी. उन्होंने कहा कि अगर हर कोई कोरोना से संक्रमित हो जाए और ऐसे लोगों का परसेंटेज काफी रहे जो बिना लक्षण के बीमार हों, तब भी काफी अधिक लोगों की मौतें होंगी.

फाउची ने कहा कि मोटापा, हाइपरटेंशन या डाटबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए कोरोना काफी खतरनाक साबित हो रहा है. इस कारण से हर्ड इम्यूनिटी हासिल करना और खतरनाक साबित हो सकता है.

‘हर्ड इम्युनिटी’ होने का मतलब है कि एक बड़े हिस्से या आमतौर पर 70 से 90 फीसदी लोगों में किसी वायरस से लड़ने की ताकत को पैदा करना. ऐसे लोग बीमारी के लिए इम्‍यून हो जाते हैं. जैसे-जैसे इम्यून (रोगप्रति‍रोधक क्षमता) वाले लोगों की संख्या में इजाफा होता जाएगा. वैसे-वैसे वायरस का खतरा कम होता जाएगा. इस वजह से वायरस के संक्रमण की जो चेन बनी हुई है वो टूट जाएगी. यानी वो लोग भी बच सकते हैं जि‍नकी इम्युनिटी कमजोर है.

क्‍यों जरुरी है ‘हर्ड ‘इम्युनिटी’

दरअसल कि‍सी भी वायरस को रहने के लिए एक शरीर की जरुरत होती है, तभी वो जिंदा रह पाता है. डॉक्‍टर या वैज्ञानिक की भाषा में वायरस को एक नया होस्‍ट चाहिए. ऐसे में वायरस कमजोर इम्‍यूनिटी वाला शरीर ढूंढता है. जैसे ही उसे वो मि‍लता है उसे संक्रमित कर देता है. ऐसे में अगर ज्‍यादातर लोगों की इम्‍यूनिटी मजबूत होगी तो वायरस को शरीर नहीं मिलेगा और वो एक वक्‍त के बाद खुद ब खुद ही नष्‍ट हो जाएगा. क्‍योंकि वायरस की भी एक उम्र होती है, उसके बाद वो मर जाता है.

ऐसा आकलन किया जा रहा है कि कोरोना वायरस के मामले में हर्ड इम्यूनिटी के लिए 60 से 70 फीसदी आबादी के संक्रमित होने की जरूरत होगी. इससे पहले एक्सपर्ट्स ने ये चिंता भी जाहिर की थी कि कोरोना से ठीक होने वाले लोग कितने दिन तक वायरस से सुरक्षित रहते हैं, इसको लेकर फिलहाल पर्याप्त डेटा मौजूद नहीं है.

जेएचबी स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के महामारी विशेषज्ञ डॉ. डेविड डॉडी ने कहा कि अगर कोरोना की नेचुरल इम्यूनिटी 3 से 6 महीने में खत्म हो जाती है तो हमें हर्ड इम्यूनिटी के बारे में बात भी नहीं करना चाहिए.

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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