coronavirus in us : अमेरिका में कई अस्पताल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में मलेरिया के उपचार में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल कर रहे हैं. मीडिया में आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी मिली है. चिकित्सा पत्रिका ‘एमडेज’ में शुक्रवार को प्रकाशित एक खबर के अनुसार, मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) और तोसीलिजुमैब दवा से येल न्यू हेवन हेल्थ सिस्टम के अस्पतालों में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज हो रहा है.
भारतीय-अमेरिकी हृदयरोग विशेषज्ञ निहार देसाई ने पत्रिका को बताया कि यह सस्ती दवा है, इसका दशकों से इस्तेमाल किया जाता रहा है और लोग इससे आराम महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम अपनी ओर से भरसक प्रयास कर रहे हैं. उम्मीद करते हैं कि हमें फिर से कोरोना वायरस वैश्विक महामारी जैसी किसी चीज का सामना कभी न करना पड़े. उनके अस्पताल में लगभग आधे मरीज कोविड-19 के हैं.
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इस बीच अमेरिकी खाद्य एवं प्रशासन औषधि (एफडीए) ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए वायरल रोधी दवा रेमडेसिविर के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. जिन लोगों को रेमेडेसिविर दी गई उन्हें औसतन 11 दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के एंथनी फॉसी ने बताया कि यह दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज में कारगर होगी. अभी इस दवा का इस्तेमाल मामूली रूप से बीमार मरीजों पर नहीं किया गया है. एफडीए ने कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए सबसे पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा के इस्तेमाल को मंजूरी दी थी.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दवा का इस्तेमाल करने की पैरवी करते रहे हैं. खबरों के मुताबिक इस दवा से न्यूयॉर्क तथा कई अन्य स्थानों पर मरीजों का इलाज हुआ है. खबरों के अनुसार मलेरिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन कोरोना वायरस से संक्रमित पाये जाने की शुरुआती चरण के दौरान प्रभावी पायी गयी है लेकिन हृदयरोगियों के लिए यह घातक है.
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यदि आपको याद हो तो ट्रंप के आग्रह पर भारत ने अमेरिका को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन की पांच करोड़ गोलियां भेजी थीं. ट्रंप के अनुरोध पर मोदी सरकार ने इसकी पहली खेप भेजी थी.