विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना मरीजों में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन के इस्तेमाल के बारे में जारी क्लिनिकल ट्रायल को फिलहाल अस्थायी तौर पर बंद कर दिया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस दवा के इस्तेमाल को लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं. उन्होंने खुलासा किया था कि वो खुद कोविड-19 से बचने के लिए हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन का सेवन कर रहे हैं.
"The Executive Group of the Solidarity Trial, representing 10 of the participating countries, met on Saturday and has agreed to review a comprehensive analysis and critical appraisal of all evidence available globally"-@DrTedros #COVID19
— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 25, 2020
डब्ल्यूएचओ निदेशक डॉ. टेड्रॉस एडहॉनम गीब्रियेसुस ने सोमवार को कहा कि इस दवा के सुरक्षित इस्तेमाल के बार में डेटा सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड अध्ययन करेगा. साथ ही इस दवा से जुड़े दुनिया भर में हो रहे प्रयोगों का व्यापक विश्लेषण भी किया जाएगा. टेड्रॉस ने कहा कि आम तौर पर हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन और क्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के रोगियों और लुपस जैसे ऑटोइम्यून बीमारी के मामलों में किया जाता है. लेकिन कोरोना के मरीजों में इस दवा के सुरक्षित स्तेमाल को लेकर चिंता जताई जा रही है.
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एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि द लैंसेट में एक अध्ययन के सामने आया है कि कोविड -19 रोगियों पर दवा का उपयोग करने से उनके मरने की संभावना बढ़ सकती है. इस स्टडी के सामने आने के बाद शनिवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सॉलिडेरिटी ट्रायल (डब्ल्यूएचओ की निगरानी में हो रहे कोविड-19 क्लिनिकल ट्रायल) के एक्सिक्यूटिव ग्रूप की एक बैठक हुई. 10 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों वाले इस ग्रूप ने बैठक के बाद इस दवा से जुड़े क्लिनिकल ट्रायल को अस्थायी तौर पर स्थगित करने का फैसला किया है. साथ ही दुनिया भर में इस दवा को लेकर जो प्रयोग किए गए हैं, उनके नतीजों का व्यापक विश्लेषण करने का भी फैसला किया गया है.
अब तक इस बात के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन दवा कोरोना वायरस के मरीजों के मामले में कितनी कारगर है. मार्च में भारत ने इस दवा के निर्यात पर पाबंदी लगाई थी. डोनाल्ड ट्रंप चाहते थे कि भारत ये प्रतिबंध हटाए और अमेरिका में इसकी आपूर्ति करे. ट्रंप के कहने के बाद भारत ने ये प्रतिबंध आंशिक रूप से हटा दिया था और भारी मात्रा में हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्विन अमेरिका को निर्यात किया गया था.
भारत में सबसे ज्यादा बनने वाली इस दवा को लेकर ‘द लैंसेट’ के अध्ययन में पाया गया कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्विन ये दोनों दवाएं संभावित गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं, खासतौर से यह आपके हार्ट को नुकसान पहुंचा सकती है.