‘कोरोना वैक्सीन का दूसरा डोज देर से लेने पर 20 से 300 फीसदी तक विकसित होती है एंटीबॉडी’
वैज्ञानिकों के शोध में कहा गया है कि वर्तमान परिस्थिति दूसरी खुराक देर से लेने पर न केवल अधिक से अधिक लोगों के लिए कोरोना रोधी टीकों की आपूर्ति की जा सकेगी, बल्कि टीकों के बचाव को भी बढ़ावा मिलेगा.
लंदन : कोरोना रोधी टीकों की कमी के बीच वैज्ञानिकों के एक अध्ययन में चौंकाने वाला खुलासा किया गया है, जिसमें यह कहा गया है कि टीके की दूसरी खुराक देर से लेने पर आदमी के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी एंटीबॉडी 20 से 300 फीसदी तक बढ़ जाता है. वैज्ञानिकों की ओर से यह खुलासा तब किया है, जब दुनिया में भारत समेत कई देशों में कोरोना रोधी टीकों की जबरदस्त कमी के बीच दो खुराकों के बीच के अंतर को बढ़ा दिया गया है. भारत में भी कोविशील्ड की दो खुराक के अंतर को बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह कर दिया गया है. हालांकि, यह बात दीगर है कि टीके की दोनों खुराक के अंतर को बढ़ाने के बाद लंबी बहस छिड़ी हुई है.
वैज्ञानिकों के शोध में कहा गया है कि वर्तमान परिस्थिति दूसरी खुराक देर से लेने पर न केवल अधिक से अधिक लोगों के लिए कोरोना रोधी टीकों की आपूर्ति की जा सकेगी, बल्कि टीकों के बचाव को भी बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही, उसमें यह भी कहा कि टीके की पहली और दूसरी खुराक के बीच लंबे अंतर होने से मानव शरीर में इम्यून सिस्टम को प्रतिक्रिया के लिए अधिक से अधिक समय देता है. यदि टीके की दूसरी खुराक देर से लगाई जाती है, तो वायरस से लड़ने के लिए आदमी के शरीर में 20 से 300 फीसदी तक अधिक एंटीबॉडी विकसित होती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक खबर के अनुसार, कोरोना रोधी टीके की दो खुराक के बीच लंबे अंतराल से संबंधित खबर उन देशों के लिए राहत पहुंचाने वाली है, जो टीकों की कमी से जूझ रहे हैं और वे पहले से ही टीकों की दो खुराक के बीच के अंतर को बढ़ा चुके हैं. टीके पर शोध करने वाले ग्रुप मायो क्लिनिक के वायरोलॉजिस्ट और निदेशक ग्रेगोरी पोलैंड ने कहा कि यदि मैं कर सकता था, तो मैं अभी इसी वक्त बटन दबा देता कि हम सभी को एक डोज लगा दें. बाद में दूसरा डोज लगाएंगे.
पिछले साल के दिसंबर में जब टीकाकरण की शुरुआत की गई थी, तो इसकी दोनों खुराकों के बीच के अंतर को लेकर कोई भरोसे के लायक प्रमाण नहीं मिले थे. दुनिया में सबसे पहले ब्रिटेन ने दो खुराकों के बीच के अंतर को बढ़ाने की घोषणा की. हालांकि, उस समय पूरी दुनिया में उसके इस कदम की जोरदार तरीके से आलोचना भी की गई, लेकिन वर्तमान समय में उसका वह कदम आज प्रामाणिक साबित होता दिखाई दे रहा है.
वैज्ञानिकों के शोध में इस बात की भी जानकारी मिली है कि कोरोना रोधी टीके की पहली खुराक किसी भी व्यक्ति के शरीर में एंटीबॉडी बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत कराती है. दूसरी खुराक जितनी देर से ली जाएगी, आदमी के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी उतनी ही अधिक परिपक्व होती है.
Posted by : Vishwat Sen