चीन का नया हथियार- बांटो कर्ज : छोटे देशों को फांस कर भारत को घेर रहा ड्रैगन

पिछले कुछ सालों से चीन ने भारत के खिलाफ आक्रामक तरीके से एक नये हथियार का इस्तेमाल करना शुर किया है. यह हथियार है कर्ज नीति. चीन ने अपनी इस नीति के चलते भारत के चारों तरफ मौजूद छोटे-छोटे देशों को अपना कर्जदार बना लिया है

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2020 5:53 AM

पिछले कुछ सालों से चीन ने भारत के खिलाफ आक्रामक तरीके से एक नये हथियार का इस्तेमाल करना शुर किया है. यह हथियार है कर्ज नीति. चीन ने अपनी इस नीति के चलते भारत के चारों तरफ मौजूद छोटे-छोटे देशों को अपना कर्जदार बना लिया है. इसके जरिये वह भारत को चारों तरफ से घेरना चाहता है.

अपनी इस नीति के तहत चीन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर छोटे देशों को पहले कर्ज देता है और फिर उस देश पर एक तरह से कब्जा कर लेता है. चीन अपनी इस ‘डेब्ट-ट्रैप डिप्लोमेसी’ पर तर्क देते हुए कहता है कि इससे छोटे और विकासशील देश में इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा. जबकि, उसके विरोधी मानते हैं कि चीन ऐसा करके छोटे देशों पर कब्जा कर रहा है.

इसे ऐसे समझा जा सकता है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपक्षे के कार्यकाल में श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह प्रोजेक्ट के लिए चीन ने बड़ा निवेश किया है. इस प्रोजेक्ट के कारण श्रीलंका पर विदेशी कर्ज बढ़ता गया. कर्ज बढ़ने की वजह से श्रीलंका को दिसंबर 2017 में हंबनटोटा बंदरगाह चीन की मर्चेंट पोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी को 99 साल के लिए लीज पर देना पड़ा.

बंदरगाह के साथ ही श्रीलंका को 15 हजार एकड़ जमीन भी उसे सौंपनी पड़ी. यह जमीन भारत से 150 किमी दूरी पर है. यह पूरा वाकया चीन की कर्ज नीति पर एक मिसाल के तौर पर पेश किया जाता है. इससे पता चलता है कि चीन पहले छोटे देश को इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर कर्ज देता है. उसे अपना कर्जदार बनाता है. और फिर बाद में उसकी संपत्ति पर कब्जा कर लेता है.

375 लाख करोड़ दुनिया पर चीन का कर्ज, 150 देशों के पास वर्ल्ड बैंक व आइएमएफ से ज्यादा चीन का कर्ज

चीन की पहली पसंद अफ्रीकी देश, एक दर्जन देशों के पास उनकी जीडीपी का 20% से ज्यादा कर्ज चीन ने दिया

विस्तारवादी नीति : एशिया की यह महाशक्ति अफगान शांति प्रक्रिया में शामिल होने की कोशिश कर रहा है, तो बांग्लादेश को जंगी जहाज बेच रहा है. पाकिस्तान में बिजली परियोजनाएं स्थापित कर रहा है. चीन कथित रूप से बंगाल की खाड़ी में बांग्लादेश के लिए एक तेल पाइपलाइन के लिए पूंजी लगाने और स्थापित करने को भी तैयार है. ग्वादर व हंबन्टोटा चीनी योजना के मुख्य कदम माने जा रहे हैं.

भारत के सहयोगियों को कर्ज के नाम पर चीन बना रहा गुलाम : पाकिस्तान : पाकिस्तान ने चीन के सीपीइसी प्रोजेक्ट में 4.56 लाख करोड़ रुपये निवेश किये हैं. इसकी बड़ी रकम कर्ज के तौर पर है. इसकी ब्याज दर सात फीसदी है. चीन पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के पास नौसेना का बेस बनाना चाहता है.

मालदीव : मालदीव ने 2016 में 16 द्वीपों को चीनी कंपनियों को लीज पर दिया था. अब चीन इन द्वीपों पर निर्माण कार्य कर रहा है. ताकि हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के आसपास होने वाले अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भारत पर नजर रख सके.

नेपाल : चीन ने नेपाल के रसुवा में पनबिजली प्रोजेक्ट शुरू किया है. यह तिब्बत से 32 किलोमीटर दूर है. इसमें चीन ने 950 करोड़ रुपये लगाये हैं. नेपाल के नया नक्शा जारी करने के पीछे भी चीन का ही हाथ है. चीन नेपाल को आर्थिक मदद भी कर रहा है.

श्रीलंका : चीन ने श्रीलंका में 36,480 करोड़ रुपये का निवेश किया था जो 2016 में यह कर्ज 45,600 करोड़ रुपये हो गया. श्रीलंका यह कर्ज नहीं चुका सका. इस पर उसे हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 साल के लिए लीज पर देना पड़ा.

बांग्लादेश : चीन ने बांग्लादेश से बीआरआइ प्रोजेक्ट में समझौता किया था. चीन ने बांग्लादेश में 2.89 लाख करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर लगाये हैं. साथ ही चीन से हथियार और पैसे से भी मदद कर रहा है.

99 साल के लिए चीन ने किया श्रीलंका के हंबनटोटा पोर्ट पर कब्जा : भारत के अलावा चीन का सीमा विवाद कई देशों के साथ वर्षों से चल रहा है. दक्षिण चीन सागर क्षेत्र पर एकाधिकार जमाने के लिए चीन ने इसी अप्रैल में स्प्रैटली और पैरासेल द्वीपों पर नये प्रशासनिक जिले बनाने और यहां के 80 द्वीपसमूहों के नाम बदलने की घोषणा की थी. इस सागर के 1.4 मिलियन वर्गमील को नियंत्रित करने की यह उसकी एक चाल है.

  • चीन ने मार्च में दक्षिण चीन सागर में दो रिसर्च स्टेशन बनाये, जिन पर फिलीपींस अपना दावा करता है

  • स्प्रैटली द्वीपसमूह पर स्वामित्व को लेकर चीन, ताइवान, वियतनाम, फिलीपींस और मलयेशिया के बीच काफी समय से चल रहा है विवाद

  • चीन-वियतनाम के बीच दक्षिण चीन सागर स्थित पैरासेल द्वीपसमूह को लेकर चल रहा है तनाव

  • 1950 में चीन ने आक्रमण कर तिब्बत की सरकार को 17 सूत्री समझौते के लिए मजबूर कर दिया और इस स्वायत्त क्षेत्र पर कब्जा कर लिया

  • इसी साल 28 मई को चीन की संसद ने हांगकांग के लिए एक नये विवादास्पद सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दी है. इसके जरिये हांगकांग में चीन के अधिकार को कमजोर करना अपराध माना जायेगा.

  • पिछले एक साल में इंडोनेशिया, मलयेशिया, वियतनाम और फिलीपींस के हिस्से वाले सागर क्षेत्रों पर अपना दावा मजबूत करने के लिए चीन ने अपनी नौसेना का इस्तेमाल किया है. चीन इस जल राशि के 80% हिस्से पर दावा करता है

Next Article

Exit mobile version