वाशिंगटन : अमेरिका और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता रहा है. दोनों देशों के बीच कोरोना वायरस को लेकर जो विवाद शुरू हुआ है वो अब टकराव का रूप लेता जा रहा है. डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने चीन के एयरलाइंस को अमेरिका में बैन करने पर विचार कर रही है.
बताया जा रहा है इस फैसले पर तब विचार किया जा रहा है जब चीन, अमेरिकी विमान कंपनियों पर बैन लगा दिया है. न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार ट्रंप प्रशासन चीन के एयरलाइंस को अमेरिका में बैन करने पर कर रही है विचार. इससे पहले चीन ने अमेरिकी विमान कंपनियों को दोनों देशों के बीच सेवा शुरू करने रोका था.
Trump administration plans to block Chinese airlines, after China prevented US airlines from resuming service between the countries: New York Times pic.twitter.com/MnfEHhNZdQ
— ANI (@ANI) June 3, 2020
मालूम हो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से संबंध रखने वाले चीन के छात्रों और शोधकर्ताओं के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की घोषणा की है. उन्होंने अमेरिका से बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी हासिल करने के लिए स्नातक छात्रों का इस्तेमाल करने की चीन की कोशिशों को खत्म करने के लिए यह कदम उठाया है.
व्यापार, कोरोना वायरस की उत्पत्ति, हांगकांग में बीजिंग की कार्रवाई और विवादित दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामक सैन्य गतिविधियों को लेकर अमेरिका और चीन में बढ़ती तनातनी के बीच ट्रम्प ने यह घोषणा की है. ट्रम्प ने कहा कि चीन ने अपनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के आधुनिकीकरण के लिए संवदेनशील अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदा को हासिल करने के लिए व्यापक अभियान चलाया हुआ है.
ट्रम्प ने आरोप लगाया कि चीन अपने कुछ छात्रों ज्यादातर परास्नातक और शोधकर्ताओं का इस्तेमाल बौद्धिक संपदा को एकत्रित करने के लिए करता है इसलिए पीएलए से जुड़े चीनी छात्रों या शोधकर्ताओं के चीनी अधिकारियों के हाथों इस्तेमाल होने का अधिक जोखिम है और यह चिंता का सबब है. उन्होंने कहा, इसे देखते हुए मैंने फैसला किया कि अमेरिका में पढ़ाई या शोध करने के लिए ‘एफ’ या ‘जे’ वीजा मांगने वाले कुछ चीनी नागरिकों का प्रवेश अमेरिका के हितों के लिए खतरनाक होगा.
मालूम हो चीन और अमेरिका के बीच कोरोना संक्रमण के प्रसार को लेकर विवाद शुरू हुआ और दोनों देशों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस के लिए सीधे तौर पर चीन को दोषी माना है और उसमें WHO की भी मिलीभगत होने का आरोप लगाया है. ट्रंप ने तो WHO की फंडिंग पर भी रोक लगा दिया है.
दूसरी ओर अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा कि चीन ने विश्व भर में घातक कोरोना वायरस छोड़ा है और बीजिंग ने इसे छिपाने की कोशिश बड़े स्तर पर की है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने बार-बार संदेह व्यक्त किया है कि वुहान में पहली बार पाया गया कोरोना वायरस चीन की किसी प्रयोगशाला से निकला था.
Posted By : arbind kumar mishra