ट्रंप का बड़ा फैसला, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के अमेरिकी सहायता पर ताला
Donald Trump Order Stop Foreign Aid: अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सहायता का पुनर्मूल्यांकन करने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि किन देशों को आर्थिक मदद दी जाए. फिलहाल, अमेरिका की ओर से चल रहे सभी सहायता कार्यक्रम अस्थायी रूप से रोक दिए गए हैं.
Donald Trump Order Stop Foreign Aid: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालने के तुरंत बाद ऐसे कई निर्णय लिए, जिनका प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखने को मिल रहा है. ट्रंप प्रशासन ने “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत विदेशी सहायता को निलंबित करने का फैसला लिया है. यह निर्णय भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सहायता का पुनर्मूल्यांकन करने के बाद ही यह तय किया जाएगा कि किन देशों को आर्थिक मदद दी जाए. फिलहाल, अमेरिका की ओर से चल रहे सभी सहायता कार्यक्रम अस्थायी रूप से रोक दिए गए हैं.
ट्रंप का आदेश और उसके परिणाम
20 जनवरी को पद की शपथ लेने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने जिन कार्यकारी आदेशों पर हस्ताक्षर किए, उनमें से एक विदेशी मदद पर रोक से संबंधित था. इस आदेश में सभी संघीय एजेंसियों को 90 दिनों के लिए विदेशी सहायता रोकने और मौजूदा कार्यक्रमों का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया गया. इसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक ज्ञापन जारी कर बताया कि लगभग सभी नई फंडिंग पर रोक लगा दी गई है. हालांकि, इजरायल, मिस्र और अमेरिका के प्रमुख मध्य-पूर्वी सहयोगियों को इस निलंबन से बाहर रखा गया है.
रविवार को विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि अमेरिकी लोगों को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं होता है, तो वह विदेशों में धन खर्च नहीं करेंगे. अमेरिका लंबे समय से दुनिया का सबसे बड़ा डोनर रहा है. 2023 में, अमेरिका ने विदेशी सहायता के रूप में 72 अरब डॉलर वितरित किए थे. इनमें पाकिस्तान को 23.2 करोड़ डॉलर और बांग्लादेश को 40.1 करोड़ डॉलर शामिल थे.
इसे भी पढ़ें: चीन ने अफ्रीकी देशों को दिया बड़ा धोखा!, अफ्रीका की ऊर्जा भविष्य पर मंडराया संकट
पाकिस्तान पर असर
पाकिस्तान, जो पहले से ही गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, इस निर्णय से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. पाकिस्तान में कई विकास परियोजनाएं अमेरिकी आर्थिक मदद पर निर्भर हैं. ट्रंप के आदेश के बाद पाकिस्तान में सांस्कृतिक संरक्षण के लिए एंबेसडर फंड और ऊर्जा क्षेत्र की पांच प्रमुख परियोजनाएं रद्द कर दी गई हैं. इसके अलावा, चार आर्थिक विकास कार्यक्रम और पांच कृषि विकास परियोजनाएं भी प्रभावित हुई हैं. लोकतंत्र, मानवाधिकार और शासन से संबंधित कार्यक्रमों के लिए फंडिंग अस्थायी रूप से रोक दी गई है. शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी क्षेत्रों पर भी इसका असर पड़ा है. पाकिस्तान में अमेरिकी मदद से चल रहे चार शिक्षा और चार स्वास्थ्य परियोजनाओं को निलंबित कर दिया गया है. इसके अलावा, शासन से जुड़े 11 प्रोजेक्ट्स भी ठप हो गए हैं.
पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास और कांसुलेट की वेबसाइट के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में अमेरिका ने पाकिस्तान को 32 अरब डॉलर की आर्थिक मदद दी है. लेकिन अब अमेरिकी सहायता बंद होने से पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. पाकिस्तान पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से मिले बेलआउट पैकेज पर निर्भर है. ऐसे में अमेरिकी सहायता बंद होने से देश की अर्थव्यवस्था और अधिक दबाव में आ सकती है.
इसे भी पढ़ें: इसरो का 100वां मिशन, NavIC सैटेलाइट ने अंतरिक्ष में मचाया तहलका!
बांग्लादेश की चुनौतियां
बांग्लादेश, जो अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी (USAID) के तहत दी जाने वाली आर्थिक मदद का बड़ा लाभार्थी है, अब गंभीर संकट का सामना कर सकता है. अमेरिका से मिलने वाली मदद के जरिए बांग्लादेश अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने और शिक्षा कार्यक्रम चलाने में सफल रहा है.
2023 में, अमेरिका ने बांग्लादेश को 49 करोड़ डॉलर की मदद दी थी. यह सहायता खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और अन्य बुनियादी विकास परियोजनाओं में उपयोग की जाती थी. बांग्लादेश की डांवाडोल अर्थव्यवस्था, जो कोविड-19 महामारी के बाद से संघर्ष कर रही है, अमेरिकी मदद पर काफी हद तक निर्भर रही है. विश्लेषकों का मानना है कि इस निर्णय से बांग्लादेश की स्थिति और अधिक बिगड़ सकती है. स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में चल रही परियोजनाओं पर इसका गहरा असर पड़ेगा.
नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अस्थायी सरकार को यह निर्णय एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. देश में महंगाई और बेरोजगारी पहले से ही चरम पर है.
इसे भी पढ़ें: कुंभ स्पेशल ट्रेनें नहीं हुई रद्द, रेलवे ने दी जानकारी
नेपाल पर प्रभाव
नेपाल भी अमेरिकी सहायता से चलने वाली परियोजनाओं पर काफी निर्भर है. यह देश विकास कार्यों के लिए अमेरिकी सहायता पाने वाले शीर्ष 20 देशों में शामिल है. 1951 से यूएसएआईडी ने नेपाल को 1.5 अरब डॉलर की सहायता प्रदान की है.
वित्त वर्ष 2020-21 में नेपाल को 10.594 करोड़ डॉलर और 2018-19 में 12.5 करोड़ डॉलर की मदद दी गई थी. इस आर्थिक सहायता से नेपाल में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, इंफ्रास्ट्रक्चर, आर्थिक विकास और महिला एवं बाल सशक्तिकरण जैसे कार्यक्रम चलाए जाते थे. नेपाल में यूएसएआईडी के समर्थन से चल रही 21 परियोजनाएं ट्रंप के आदेश से प्रभावित हुई हैं. अगर अमेरिका इन परियोजनाओं को फंडिंग नहीं देने का फैसला करता है, तो नेपाल को बड़ा झटका लग सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम रिपब्लिकन नीति के अनुरूप है. रिपब्लिकन पार्टी अक्सर विदेशी सहायता में कटौती करती रही है. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर श्रीराधा दत्ता के अनुसार, अमेरिका केवल उन्हीं परियोजनाओं को फंड देगा, जो उसकी विदेश नीति के उद्देश्यों के अनुरूप होंगी. दत्ता ने कहा कि यूएसएआईडी की मदद से बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है. यदि यह सहायता स्थायी रूप से रोक दी जाती है, तो इन देशों की बुनियादी सुविधाओं पर नकारात्मक असर पड़ेगा.