विश्व के लिए चुनावी साल होने जा रहा है 2024, जानें दुनिया पर क्या होगा इसका असर
2024 में विश्व में होने वाले मुख्य चुनाव जिनका दुनिया में काफी गहरा असर पड़ेगा. हाल में वैश्विक मंदी, आतंकवाद, तेल के कीमतों , रूस-यूक्रेन युद्ध , इजराइल-हमास संघर्ष आदि शामिल हैं. दुनिया की लगभग आधी आबादी इन चुनावों में अपने मत का उपयोग करेगी जिसका कि पूरे विश्व में प्रभाव देखने को मिल सकता है.
पूरे विश्व में नये साल का जश्न अभी खत्म ही हुआ है कि भारत में चुनावों की चर्चा और तैयारियां शुरू हो गई है. जी हां, 2024 का साल पूरी दुनिया के लिए चुनावी साल साबित होने वाला है. इन चुनावों का वैश्विक राजनीति, भू- राजनीति, वैश्विक अर्थव्यवस्था जैसे विभिन्न मुद्दों को प्रभावित करेंगे. 2024 में भारत में होने वाले लोकसभा चुनाव से लेकर पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया और ईरान में चुनाव होने हैं. यह चुनाव सिर्फ दक्षिण एशिया तक ही सीमित नहीं है बल्कि अमेरिका, रूस , यूके, साउथ अफ्रीका , यूरोपियन यूनियन , मेक्सिको, वेनेजुएला आदि हैं. 2024 में विश्व में होने वाले मुख्य चुनाव जिनका दुनिया में काफी गहरा असर पड़ेगा. हाल में वैश्विक मंदी, आतंकवाद, तेल के कीमतों , रूस-यूक्रेन युद्ध , इजराइल-हमास संघर्ष आदि शामिल हैं. दुनिया की लगभग आधी आबादी इन चुनावों में अपने मत का उपयोग करेगी जिसका कि पूरे विश्व में प्रभाव देखने को मिल सकता है.
भारत में होने वाले हैं लोकसभा चुनाव
भारत में 2024 में संसदीय चुनाव होने वाले हैं. देश में जहां नरेंद्र मोदी अपने 10 साल के कार्यकाल जनता के सामने रखेंगे. वहीं विपक्ष की इंडिया गठबंधन बीजेपी के विरुद्ध चुनावी मैदान में ताल ठोकेगी. विपक्ष पीएम मोदी के कार्यकाल में गरीबी , महंगाई, बेरोजगारी को चुनाव में अहम मुद्दा बनाएगी. नरेंद्र मोदी अपनी गुड गवर्नेंस, विकास, आतंकवाद के रोकथाम, अनुच्छेद 370 एवं राम मंदिर के भरोसे चुनावी समर में उतरेगी. बीजेपी के पास प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता एवं कुशल नेतृत्व है. हाल में हुए विधानसभा चुनावों में पांच में से तीन राज्यों में बीजेपी ने बाजी मारी है. जानकारों और चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि नरेंद्र मोदी फिर से सत्ता में वापसी कर अपने तीसरे कार्यकाल की ओर अग्रसर हैं. लेकिन यह देखना रोचक होगा कि जनता किसके काम पर मुहर लगाती है.
अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प कर सकते हैं सत्ता में वापसी
अमेरिका में चुनाव इस वर्ष के अंत में नवंबर में होने वाला है. अमेरिका में होने वाला चुनाव का प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ता है. अमेरिका में मुख्यत: दो पार्टी चुनावों में भाग लेती है. दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति को राष्ट्रपति को चुनेगा. एक तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार और मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन हैं जो कि सत्ता में वापसी करने का प्रयास करेंगे तो वहीं उन्हें रिपब्लिकन पार्टी की तरफ से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प उन्हें कड़ी टक्कर देने को तैयार हैं. रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान टकराव और हाल में हुए इजरायल-हमास संघर्ष की वजह से यह चुनाव अहम हो जाते हैं.
रूस में पुतिन करेंगे सत्ता में वापसी
अब बात भारत के मित्र देश रूस की. रूस में राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन फिर से सत्ता में वापसी है. पिछले दो दशकों से राष्ट्रपति के पद पर काबिज हैं. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यह चुनाव और भी अहम हो जाता है. रूस भारत का घनिष्टठ सहयोगी है. भारत रूस से हथियार, गोला-बारूद एवं गैस व तेल निर्यात करता है.
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पड़ोसी देश पाकिस्तान में फरवरी में होने वाले हैं मतदान
पड़ोसी देश पाकिस्तान में 8 फरवरी को चुनाव होने की घोषणा हो गई है. पूर्व प्रधानमंत्री और पीटीआई नेता इमरान खान जेल में बंद हैं तो वहीं पीएमएल के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की वतन वापसी के बाद से ही सत्ता में वापस आने की तैयारियां शुरू कर दी है. पाकिस्तान में अब तक किसी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है. वहां पर हमेशा से सेना का दबदबा रहा है. ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि यह चुनाव कितना पारदर्शी होगा. भारत की नजर इन चुनावों में रहेगी कि कौन इसमें जीत हासिल करता है.
बांग्लादेश में शेख हसीना पर रहेगी सबकी नजर
बांग्लादेश में 7 जनवरी को मतदान होने वाले हैं. प्रधानमंत्री शेख हसीना चुनावी मैदान में अगली पारी के लिए तैयार है. बाग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी ने पहले ही चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा कर दी है. इसलिए आवामी लीग चौथी बार सत्ता में वापसी करने को तैयार है. भारत की नजर बांग्लादेश में हो रहे चुनावों पर टिकी रहेगी क्योंकि भारत ने बांग्लादेश में काफी निवेश किया है. शेख हसीना को मुस्लिम रूढीवादी ताकतों पर अंकुश लगाने वाला माना जाता है.
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ताइवान में भी पलटेगी बाजी या चीन का होगा दबदबा
ताइवान में भी इसी वर्ष चुनाव होने वाले हैं. ताइवान की जनता इसबार चीन से रिश्ते सुधारने वाले किसी नेता का चुनाव करती है या चीन के प्रति कड़ा रवैया रखने वाले किसी नेता को. दरअसल, चीन ताइवान को अपने देश का हिस्सा बताता है. हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच कड़वाहट और संघर्ष देखने को मिला है.
यूके में समय से पहले हो सकते हैं चुनाव
यूके में पिछले कुछ वर्षों में लगातार सत्ता में फेरबदल होता रहा है. यहां भी अमेरिका की तरह दो पार्टियां मुख्य तौर पर चुनाव लड़ती है. इस चुनाव में जहां कंजरवेटिव पार्टी के नेता और पीएम ऋषि सुनक अपने विरोधी लेबर पार्टी केर स्टार्मर से पिछड़ रहे हैं. सुनक ने कुछ हफ्ते पहले ही कहा था कि यूके में 2024 में चुनाव हो सकते हैं.
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