मितो (जापान ) : भारत सहित विकासशील देशों और अमेरिका में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या के बीच यूरोपीय नेताओं में महामारी के कारण बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कोरोना वायरस सुधार कोष पर अंतत: सहमति बन गई .
इस बीच, एक प्रायोगिक टीके के परीक्षण के उत्साहजनक नतीजे मिले हैं क्योंकि इसमें वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के संकेत मिले हैं. अमेरिका में कोरोना वायरस से निबटने के लिए संघीय राहत का पहला दौर पूरा होने के बीच अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अधिक सहयोग देने के लिए राजनीतिक दबाव बढ़ गया है और नवंबर में होने वाले चुनाव से पहले इसे काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
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अमेरिका में लगातार 17वें सप्ताह बेरोजगारों की संख्या 10 लाख से अधिक रही तथा कई परिवारों के समक्ष रोजगार जाने के कारण स्वास्थ्य बीमा कवर गंवाने का खतरा मंडरा रहा है. अमेरिकी संसद में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स सांसदों के बीच इस बात को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है कि वित्तीय बोझ को कम करने के लिए कितनी आर्थिक मदद पर्याप्त होगी. जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय के अनुसार, भारत में 37,000 से ज्यादा मामले आए, जिसके बाद संक्रमितों की संख्या 11,55,000 के पार चली गई. कोविड-19 के मामलों में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत का नंबर आता है.
अमेरिका में 38 लाख से ज्यादा मामले हैं तो ब्राजील में 21 लाख लोग जानलेवा विषाणु की चपेट में आ चुके हैं. भारत में हाल के दिनों में प्रतिदिन 40,000 के आसपास मामले आ रहे हैं. विशेषज्ञों ने चेताया है संक्रमण के मामले कई बार चरम पर पहुंच सकते हैं, क्योंकि ग्रामीण इलाकों में वायरस फैल रहा है, जहां स्वास्थ्य प्रणाली लचर है.
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने राज्य सरकारों से और प्रयोगशालाओं को जोड़ने और जांच क्षमता में सुधार करने का आग्रह किया है. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि लॉकडाउन हटाने और हवाई अड्डों के फिर से खोलने के बाद से देश में नए मामले बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा उनका देश गंभीर चरण में पहुंच रहा हैं, क्योंकि काफी मामलों का पता नहीं चल सका है.
हालांकि उनके देश में पहले कोरोना वायरस का प्रबंधन कर पाया था. स्पेन के कातालोन्या और अन्य क्षेत्रों में प्रारंभिक पहचान प्रणाली का मकसद प्रकोप को रोकना और मामलों की बाढ़ों को रोकना था. लेकिन डॉक्टरों और मरीजों का कहना है कि यह पर्याप्त नजर नहीं आ रहा है. स्पेन ने इस साल के शुरू में कोरोना वायरस की पहली दौर के संक्रमण को रोकने के लिए तीन महीने का लॉकडाउन लगाया गया था.
संक्रमण के कारण कम से कम 28000 लोगों की मौत हो चुकी है. अब बार्सिलोना और कातालोन्या क्षेत्र का एक ग्रामीण इलाका वायरस से बुरी तरह से प्रभावित हैं. विश्वविद्यालय के मुताबिक, दुनिया भर में कोविड-19 से 6.10 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और 1.47 कोरड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं. यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच आखिरकार चार दिन की खींचतान के बाद मंगलवार को 1820 अरब यूरो (2100 अरब अमेरिकी डॉलर) के बजट और कोरोना वायरस सुधार कोष पर किसी तरह सहमति बन गई. यह कोष इस क्षेत्र के इतिहास में आयी सबसे बड़ी आर्थिक शिथिलता से उबरने में मदद देने के उद्देश्य से बनाया गया है.
इस क्षेत्र में अर्थव्यवस्था में अनुमानित 8.3 प्रतिशत का संकुचन आया है. विश्वविद्यालय के मुताबिक, महामारी ने यूरोपीय देशों में 1.35 लाख लोगों की जान ली है. वहीं अमेरिका में 1.41 लाख लोगों की संक्रमण के कारण मौत हुई है. ऑक्सवर्ड विश्वविद्यालय के टीके के शुरूआती प्रयोग में सकारात्मक परिणाम सामने आने के बाद के बाद बाजार में मंगलवार को बढ़त आई. विश्व स्वास्थ्य संगठन में आपात स्थिति के प्रमुख ने परिणाम को “ अच्छी खबर “ बताया, लेकिन चेताया कि अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है.
ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और चीन में संक्रमण का प्रकोप नियंत्रण में प्रतीत होता है. दक्षिण कोरिया में 45 नए मामले आए, जिनमें से 25 लोग विदेश से लौटने पर पृथकवास में थे. कई एशियाई देशों में संक्रमण के अधिकतर नए मामले उनके हैं जो बाहर से आ रहे हैं, जिससे यह उम्मीद बढ़ी है कि स्थानीय स्तर पर संक्रमण काबू में है. जापान में प्रतिदिन सैकड़ो नए मामले आ रहे, खासकर तोक्यो में. इसके अलावा मृतकों की संख्या 1000 के पार चली गई और संक्रमितों की तादाद करीब 26 हजार है.
Posted By – Pankaj Kumar Pathak