Explainer: कोराना वायरस के संक्रमण को लेकर दुनियाभर से इन दिनों राहत भरी खबरें आ रही हैं. कोविड-19 के एक्टिव मरीजों की संख्या में कमी आने के साथ ही संक्रमितों के ठीक होने की दर में भी इजाफा दर्ज हो रहा है. भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका-यूरोप समेत दुनिया के कई देशों में भी इन दिनों कोरोना के कम मामले सामने आ रहे हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कोरोना वारयस का संक्रमण अब खत्म होने की कगार पर पहुंच गया है. आइए विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर एक्सपर्ट इस मामले पर क्या कहते हैं.
बताते चलें कि कोरोना के खिलाफ जंग के मद्देनजर नए अपडेटेड बूस्टर शॉट्स जारी किए जा रहे हैं, ताकि वैक्सीन सामने आ रहे कोविड के नए वैरिएंट से बेहतर तरीके से सुरक्षा प्रदान कर सकें. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने क्वारेंटिन के नियम वापस ले लिए हैं. इतना ही नहीं लोगों ने अपने फेस से मास्क उतार लिए हैं. लोग फिर से काम पर लौटने लगे हैं. लेकिन, वैज्ञानिक अब भी सावधानियां बरतने की सलाह दे रहे हैं. ऐसे में कोरोना की एक और लहर से इनकार नहीं किया जा सकता.
वैज्ञानिक का कहना है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में टीकाकरण अभियान के कारण पिछले संक्रमण से प्रतिरक्षा प्राप्त करने में सफलता मिली है. हालांकि, ताजा रिसर्च के मुताबिक, वैज्ञानिकों को यूएस में ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट मिले हैं. दावा किया जा रहा है कि पिछले हफ्ते BA.4.6 के नए वैरिएंट के चलते अमेरिका में 8 फीसदी नए केस आए हैं. लेकिन, अच्छी इम्यूनिटी के चलते लोग इसे मात देने में कामयाब हो रहे हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में नए केस बढ़ सकते हैं.
व्हाइट हाउस कोविड-19 के कोऑर्डिनेटर डॉक्टर आशीष झा ने संभावना जाहिर करते हुए कहा कि कोरोना जीवन भर हमारे साथ रहेगा. एक्सपर्ट को उम्मीद है कि किसी दिन कोविड-19 स्थानिक हो जाएगा. यानि यह कुछ क्षेत्रों में ही इसका प्रकोप देखने को मिलेगा. लेकिन, उन्हें नहीं लगता है कि यह बहुत जल्द ऐसा होने वाला है. आशीष झा ने हाल ही में एक सवाल-जवाब सत्र के दौरान कहा कि अगर हम अपने टीकों को अपडेट करना बंद कर देंगे तो हम पीछे की ओर खिसक सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना कुछ लोगों में गंभीर बीमारी पैदा करता रहेगा. संभावना जताई जा रही है कि अगस्त 2022 से मई 2023 तक कुछ जगहों पर महामारी फैल सकती है. एक दूसरे अध्ययन में कहा गया है कि कोई नया वैरिएंट मौत के आंकड़ों को बढ़ा सकता है.
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