‘क्वाड को एशिया का नाटो समझने की न करें भूल’, म्यूनिख में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया को दिया संदेश
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार शाम को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 में ‘व्यापक बदलाव : हिंद-प्रशांत में क्षेत्रीय व्यवस्था और सुरक्षा' पर परिचर्चा के दौरान कहा कि क्वाड चार देशों का समूह है. इनके साझा हित, साझा मूल्य हैं, जो हिंद-प्रशांत के चारों कोनों पर स्थित हैं.
म्यूनिख : भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन-रूस विवाद के बीच दुनिया को क्वाड को लेकर बनी धारणा के बारे में कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि क्वाड को एशिया का ‘नाटो’ समझने की भूल न करें. उन्होंने क्वाड के एशियाई नाटो होने की धारणा को खारिज करते हुए कहा कि कुछ प्रभावित पक्ष (इंटरेस्टेड पार्टीज) हैं, जो इस तरह की उपमा को आगे बढ़ाते हैं और किसी को भी इसमें फंसना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि चार देशों का यह समूह अधिक विविध और बिखरी हुई दुनिया का जवाब देने का 21वीं सदी का एक तरीका है.
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार शाम को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 में ‘व्यापक बदलाव : हिंद-प्रशांत में क्षेत्रीय व्यवस्था और सुरक्षा’ पर परिचर्चा के दौरान कहा कि क्वाड चार देशों का समूह है. इनके साझा हित, साझा मूल्य हैं, जो हिंद-प्रशांत के चारों कोनों पर स्थित हैं. इसका मानना है कि इस दुनिया में किसी भी देश, यहां तक कि अमेरिका में भी अपने बल पर वैश्विक चुनौतियों से निपटने की क्षमता नहीं है.
उन्होंने इस धारणा को खारिज किया कि चार देशों का यह समूह एशियाई-नाटो है. उन्होंने इसे ‘पूरी तरह से भ्रामक शब्दावली’ बताई और कहा कि कुछ प्रभावित पक्ष हैं, जो इस तरह की उपमाओं को आगे बढ़ाते हैं. उन्होंने कहा कि मैं आपसे एशियाई-नाटो की उपमा में न फंसने का अनुरोध करता हूं. ऐसा इसलिए नहीं कि तीन देश हैं, जो संधि सहयोगी हैं. हम संधि सहयोगी देश नहीं है. यह अधिक विविध, बिखरी हुई दुनिया का जवाब देने का 21वीं सदी का एक तरीका है.
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बताते चलें कि क्वाड अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान का समूह है. विदेश मंत्री ने चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव का जिक्र करते हुए कहा कि क्वाड 2017 में बना था. यह 2020 के बाद नहीं बना है. उन्होंने कहा कि क्वाड के सहयोगी देशों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ हमारे संबंधों में पिछले 20 वर्षों में सुधार हुआ है. ये चार देश हैं जो आज यह मानते हैं कि अगर वे सहयोग करते हैं तो दुनिया एक बेहतर जगह होगी.