तालिबान ने लड़के-लड़कियों के साथ पढ़ने यानी ‘को-एजुकेशन’ पर रोक लगा दी है. तालिबान ने अपना पहला फतवा जारी करते हुए को-एजुकेशन को समाज की हर बुराई का जड़ बताया है. तालिबान ने अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में यह फतवा जारी किया है.
तालिबान ने अफगानिस्तान पर रविवार 15 अगस्त को कब्जा करने के बाद यह आश्वासन दिया था कि किसी को भी डरने की जरूरत नहीं है और तालिबान महिलाओं के हक की रक्षा करेगा, लेकिन अब हेरात प्रांत में जिस तरह से तालिबान ने को-एजुकेशन पर प्रतिबंध लगाया है उससे उसके मंसूबों का पता चलता है. तालिबान ने लड़के-लड़कियों के साथ पढ़ने को समाज में हर बुराई की जड़ बताया है. विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, निजी संस्थानों के मालिकों और तालिबान प्राधकारियों के बीच बैठक के बाद यह फैसला लिया गया.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद यह तालिबान का पहला फतवा है. हालांकि तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्ला मुजाहिद ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा था कि तालिबान इस्लामी कानून के तहत महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेगा. लेकिन अब तालिबान का रुख कुछ और ही नजर आ रहा है. तालिबान ने नेताओं ने विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के साथ लंबी बैठक की जिसमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया कि को-एजुकेशन बंद होना चाहिए. बैठक में यह भी कहा कि महिला शिक्षिकाएं सिर्फ महिलाओं को पढ़ायेंगी और पुरुष सिर्फ लड़कों को पढ़ायेंगे.
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां के नागरिक खौफ में हैं. सबसे ज्यादा महिलाएं खौफजदा हैं. तालिबान ने शरिया कानून लागू करने की बात कही है, हालांकि अभी तक वहां शासन की कोई व्यवस्था नहीं बन पायी है, लेकिन जल्द ही शासन की व्यवस्था तैयार होगी, ऐसा तालिबान के नेताओं का कहना है,जो इस्लामिक कानून के अनुसार चलेगी.
Posted By : Rajneesh Anand