भारत द्वारा गेहूं के कमर्शियल निर्यात (commercial export of wheat) पर पाबंदी को लेकर एस जयशंकर ने कहा कि हम बहुत से कम आय वाले देशों को गेहूं का निर्यात करते रहे हैं लेकिन हमने देखा कि हमारे गेहूं का व्यापार के लिए स्टॉक किया जा रहा था, जिससे भारत में भी खाद्य संकट की स्थिति बन सकती थी. उनहोंने कहा कि भारत से गेहूं के निर्यात की खुली पहुंच पर पाबंदी लगाई गई. हम अभी भी जरूरमंद देशों की मदद कर रहे हैं. हमने इस साल भी लगभग 23 देशों को गेहूं निर्यात किया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर (Foreign Minister S. Jaishankar) ने स्लोवाकिया, चेक गणराज्य की यात्रा के दौरान ने ये बातें कहीं.
#WATCH This is construct you're trying to impose on India. Don't think it's necessary for India to join any axis.India entitled to make its own choices which will be a balance of its values &interests:EAM on being asked about US-led axis & China as another potential axis in world pic.twitter.com/cFCiy3wneq
— ANI (@ANI) June 3, 2022
एस जयशंकर ने अमेरिका (America) के नेतृत्व वाली धड़ा और चीन के नेतृत्व वाला धड़ा के सवाल पर कहा कि भारत किस में शामिल होगा यह आप थोप नहीं सकते. फिलहाल देश के लिए जरूरी नहीं है कि वह किसी धड़े में शामिल हो. उन्होंने कहा कि भारत अपनी पसंद बनाने का हकदार है जो उसके मुल्यों और हितों का संतुलन होगा.
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एस जयशंकर ने कहा कि यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि उसकी समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं. आज चीन और भारत के बीच संबंध बन रहे हैं और यूक्रेन में क्या हो रहा है. चीन और भारत यूक्रेन से बहुत पहले आजाद हुआ था, यह कोई चतुर तर्क नहीं है. उन्होंने कहा कि चीन के साथ हमारे कठिन संबंध हैं और हम इसे प्रबंधित करने में पूरी तरह सक्षम हैं. अगर मुझे वैश्विक समझ और समर्थन मिलता है तो यह मददगार होगा. लेकिन यह विचार कि मैं एक लेन-देन करता हूं, मैं एक संघर्ष में आता हूं, क्योंकि यह दूसरे संघर्ष में मदद करेगा.
मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने पर विदेश मंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में विदेश नीति का कायाकल्प हुआ है. उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में आज देश का विकास हो रहा है. व्यापार व विदेश नीति को लेकर भी भारत ने बीते 8 साल में कई अहम फैसले लिए हैं. उन्होंने कहा कि महामारी से त्रस्त दुनिया के लिए भारत एक राहत का स्त्रोत रहा है. वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सबसे पहले सामने आया है.