हामिद अंसारी ने अमेरिकी संस्था के कार्यक्रम में दिया विवादित बयान, बोले- भारत में बढ़ रही असहिष्णुता
भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम परिषद के कार्यक्रम में हामिद अंसारी ने आरोप लगाया कि हाल के वर्षों में हमने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं.
वाशिंगटन : भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम परिषद की ओर से आयोजित एक पैनल चर्चा में भारत में मानवाधिकार को लेकर बड़ा आरोप लगाया है. वर्चुअल तरीके से इस चर्चा में भारत से शामिल हुए हामिद अंसारी ने हिंदू राष्ट्रवाद की बढ़ती प्रवृत्ति पर अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि भारत में असहिष्णुता बढ़ रही है.
भारत में चल रही असहिष्णुता को बढ़ावा देने वाली हवा : अंसारी
भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम परिषद के कार्यक्रम में हामिद अंसारी ने आरोप लगाया कि हाल के वर्षों में हमने उन प्रवृत्तियों और प्रथाओं के उद्भव का अनुभव किया है, जो नागरिक राष्ट्रवाद के सुस्थापित सिद्धांत को लेकर विवाद खड़ा करती हैं और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक नई एवं काल्पनिक प्रवृति को बढ़ावा देती हैं. वह नागरिकों को उनके धर्म के आधार पर अलग करना चाहती हैं, असहिष्णुता को हवा देती हैं और अशांति एवं असुरक्षा को बढ़ावा देती हैं.
जड़ पकड़ सकता है भेदभाव और हिंसा का माहौल
इस कार्यक्रम में अमेरिकी सीनेटर एड मार्के ने कहा कि एक ऐसा माहौल बना है, जहां भेदभाव और हिंसा जड़ पकड़ सकती है. हाल के वर्षों में हमने ऑनलाइन नफरत भरे भाषणों और नफरती कृत्यों में वृद्धि देखी है. इनमें मस्जिदों में तोड़फोड़, गिरजाघरों को जलाना और सांप्रदायिक हिंसा भी शामिल है.
भारत के खिलाफ रहा है एड मार्के का रुख
बताते चलें कि डेमोक्रेटिक पार्टी के सीनेटर मार्के का भारत विरोधी रुख अपनाने का इतिहास रहा है. उन्होंने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले शासन के दौरान भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते का भी विरोध किया था. मार्के ने भारतीय अमेरिकी मुस्लिम परिषद द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में यह बयान दिया.
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भारत में बनी रहे धार्मिक स्वतंत्रता
भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम परिषद की चर्चा में तीन सांसदों जिम मैकगवर्न, एंडी लेविन और जेमी रस्किन ने भी हिस्सा लिया. रस्किन ने कहा कि भारत में धार्मिक अधिनायकवाद और भेदभाव के मुद्दे पर बहुत सारी समस्याएं हैं. इसलिए हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि भारत हर किसी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता, स्वतंत्रता, बहुलवाद, सहिष्णुता और असहमति का सम्मान करने की राह पर बना रहे.