France Election: फ्रांस में पहले चरण में हुआ भारी मतदान, दक्षिणपंथियों के हाथों में जा सकती है सत्ता की बागडोर

दक्षिण पंथियों के हाथ में जा सकती है फ्रांस की सत्ता. संसदीय चुनाव के पहले चरण में भारी मतदान के बाद मैरीन ली पेन के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी नेशनल रैली पार्टी ने चुनाव जीता है.

By Kushal Singh | July 1, 2024 11:57 AM
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France Election: फ्रांस में संसदीय चुनाव के पहले दौर के लिए रविवार को मतदान संपन्न हुआ. फ्रांस की जनता ने बढ़ चढ़कर इस चुनाव में हिस्सा लिया है. बड़े पैमाने पर मतदान ने सत्ता की बागडोर दक्षिणपंथी ताकतों के हाथों में जाने का संकेत दिया है. इस चुनाव में मैरी ले पेन की पार्टी नेशनल रैली ने प्रथम चरण में जीत हासिल की है. वहीं इमैनुएल मैक्रों की पार्टी संसदीय चुनाव में वामपंथियों के बाद तीसरे स्थान पर रही है. बता दें कि फ्रांस में संसदीय चुनाव दो चरणों में सम्पन्न हो रहे है. इस चुनाव का दूसरा चरण 7 जुलाई को संपन्न होगा. राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस चुनाव के परिणाम से यूरोप के बाजार, फ्रांस के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और सैन्य क्षेत्र पर काफी प्रभाव पड़ सकता है. ऐसा कहा जा रहा है कि फांस की जनता का बड़ा हिस्सा आज महंगाई और आर्थिक चिंताओं से परेशान हैं. इस वजह से राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

पहले चरण के मतदान पर दिख रहा है ध्रुवीकरण का प्रभाव

फ्रांस के संसदीय चुनाव के पहले चरण के मतदान में वोटों का ध्रुवीकरण देखने को मिला है. फ्रांस की दक्षिणपंथी वोटरों के एकमुश्त ली मरीन पेन को वोट डालने के बाद वामपंथी वोटर्स भी लामबंद होने लगे और उन्होंने भारी संख्या में देश की वामपंथी पार्टी न्यू पॉपुलर फ्रंट को मतदन किया, जिसे 28.1% वोट मिले और ये दूसरे नंबर पर रही है. फ्रांस के राष्ट्रपति और न्यू पॉपुलर फ्रंट दोनो के के लिए भी ये चुनावी नतीजे चौंकाने वाले हैं. किसी ने भी न्यू पॉपुलर फ्रंट को इस तरह से समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं थी. ये नतीजे कहीं न कहीं ध्रुवीकरण से प्रभावित है. वोटों का ये ध्रुवीकरण बतलाता है, कि फ्रांस के समाज में बुरी तरह से बंटवारा हुआ है. राजनैतिक गलियारों में अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले राष्ट्रपति चुनाव में ली मरीन पेन अब राष्ट्रपति भी बन सकती हैं.

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मैंक्रो के कार्यकाल समाप्त होने के तीन साल पहले ही हो रहा चुनाव

मैंक्रो का कार्यकाल खत्म होने में अभी 3 साल बाकी है. फिर भी तीन साल पहले ही चुनाव कराया जा रहा है. हालंकि ये चुनाव संसद के लिए कराए जा रहे हैं इसीलिए इस चुनाव से मैंक्रो के कार्यकाल पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बीबीसी में छपी एक खबर के अनुसार दो साल पहले हुए चुनावों में मैंक्रो पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर पाए थे. जिस कारण अब उन्हें नए क़ानून और सुधार बिल पास करने में उन्हें समस्याएं हो रही है. वर्तमान समय में उनकी लोकप्रियता भी पहले से कम हुई है. पोल्स में उनका गठबंधन भी तीसरे स्थान पर पहुंच गया है. जल्द चुनाव कराने से उन्हें उम्मीद है कि उनके गठबंधन को कम नुकसान होगा. राष्ट्रपति मैक्रों का कहना है कि वो लोगों की इच्छा के अनुसार “प्रतिक्रिया” दे रहे हैं और उन्हें अधिक स्पष्टता लाने का मौक़ा दे रहे हैं. बताते चलें 9 जून राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने टेलीविज़न पर एक संदेश देते हुए कहा था कि देश में जल्द संसदीय चुनाव करवाए जाएंगे. इस घोषणा से एक दिन पहले यूरोपीय चुनाव हुए थे जिनमें फ़्रांस ने भी हिस्सा लिया था. इसमें धुर-दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल रैली का प्रदर्शन मध्यमार्गी गठबंधन से बेहतर था.

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