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फ्रांस में इस्लामी कट्टरपंथ के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, बंद किया मस्जिद

फ्रांस में पैंगबर के कार्टून को लेकर हुई शिक्षक की हत्या के बाद देश में इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गयी है. फ्रांस में एक टीचर की हत्या के बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है. इसी के तहत पैरिस के बाहर एक मस्जिद को अस्थायी तौर पर बंद करने का आदेश दिया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2020 2:35 PM

फ्रांस में पैंगबर के कार्टून को लेकर हुई शिक्षक की हत्या के बाद देश में इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गयी है. फ्रांस में एक टीचर की हत्या के बाद इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गई है. इसी के तहत पैरिस के बाहर एक मस्जिद को अस्थायी तौर पर बंद करने का आदेश दिया है.

मस्जिद के बाहर पुलिस ने इस बंद रखने का आदेश चिपका दिया है. साथ ही अधिकारियों ने यहर भी कहा है कि जो भी अराजक तत्व देश के लिए खतरा बन रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. मस्जिद को बंद करने का नोटिस चिपकाने के बाद कहा गया है कि मस्जिद को छह महीने तक बंद रखने का आदेश दिया गया है ताकि देश में आतंकी गतिविधियों को रोका जा सके.

इससे पहले पिछले सप्ताह फ्रांस में पैंगबर मुहम्मद का कार्टून बनाने के लिए सैमुअल पैटी नाम के शिक्षक की गला काटकर हत्या कर दी गयी थी. बताया जाता है कि उस शिक्षक ने पैगंबर मोहम्मद से जुड़े एक कार्टून को लेकर चर्चा की थी जिसे लेकर उन्हें निशाना बनाया गया. इसके बाद से वहां पर लगातार इस्लामी संगठनों और इस्लामी कट्टरपंथियों के ठीकानों पर छापेमारी हो रही थी.

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 18 साल के हत्यारे ने वॉट्स ऐप पर एक शख्स के साथ बातचीत की थी जो इतिहास के टीचर की हत्या कराना चाहता था. क्योंकि शिक्षक उस शख्स की बेटी को पैटी पढ़ाते थे और उसकी बेटी ने ही घर में बताया था कि क्लास में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून दिखाए गए.

इस कार्रवाई में दर्जनों कट्टरपंथियों को गिरफ्तार किया गया है. इतिहास के शिक्षक की हत्या को लेकर 15 लोगों को गिरफ्तार किया था. इनमें से चार छात्र थे. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने इस भयावह घटना को “इस्लामी आतंकवादी हमला” कह कर संबोधित किया. घटनास्थल का दौरा करते समय, मैक्रॉन ने यह भी कहा कि पूरा देश तैयार है, अब इस तरह की विचारधारा नहीं जीतेगी.

AFP के अनुसार, यह विवाद पहली बार तब भड़का था जब इतिहास के शिक्षक ने विनम्रतापूर्वक अपने कक्षा के मुस्लिम छात्रों से क्लास से बाहर जाने को कहा क्योंकि वह जो दिखाने जा रहे थे उससे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंच सकती थी. इस्लाम में पैगंबर के चित्रण को ईशनिंदा माना जाता है.

Posted By: Pawan Singh

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