Nepal News: नेपाल की राजधानी काठमांडू के पशुपति आर्यघाट पर एक विचलित करने वाला दृश्य सामने आया है. यहां चार लोग एक अर्थी कंधे पर लिए हुए आ रहे थे, लेकिन जब दाह संस्कार की बारी आई तो यह पता चला कि अर्थी में शव नहीं बल्कि एक पुतला रखा था. यह पुतला था बिनोद सुनुवार का, जो रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में मारे गए थे. उनके परिवार ने प्रतीकात्मक रूप से उनका अंतिम संस्कार किया, क्योंकि बिनोद का शव कभी नेपाल नहीं लौट सका. रूस और यूक्रेन युद्ध की यह एक कड़वी सच्चाई है, जिससे नेपाल भी प्रभावित हो रहा है.
रूसी सेना में हुए थे शामिल
नेपाल के गोरखा जिले से कई युवा, जो रूस की सेना में भर्ती हुए थे, यूक्रेन युद्ध में अपनी जान गंवा चुके हैं. सबसे दुख की बात यह है कि युद्ध में मारे गए इन सैनिकों के शव उनके देश नहीं लौट पा रहे, जिससे उनके परिवारों का दिल टूट चुका है. ये परिवार अपने प्रियजनों को एक आखिरी बार देख पाने की ख्वाहिश में हैं, लेकिन यह ख्वाहिश कभी पूरी नहीं हो पाई। काठमांडू के कीर्तिपुर में बिनोद सुनुवार का प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार सोमवार को उनके परिवार ने किया. इस दौरान बिनोद की मां नार माया (62), पत्नी श्रीजना बस्नेत (34), और 14 वर्षीय बेटे कृष्ण सुनुवार ने पूरी श्रद्धा के साथ अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं.
कौन हैं बिनोद सुनुवार
बिनोद सुनुवार नेपाल के ओखलढुंगा जिले के रहने वाले थे. 25 साल पहले जब एक भूस्खलन में उनके बड़े भाई और बहन की मौत हुई, तो उनका परिवार गांव छोड़कर काठमांडू आ गया था. जीवन की कठिनाइयों के बीच, बिनोद ने आर्थिक तंगी दूर करने के लिए 2022 में रूस का रुख किया. वहां उन्होंने सेना में भर्ती होने के बाद रूस की नागरिकता भी हासिल की। लेकिन नवंबर 2022 में, जब वे यूक्रेन युद्ध में शामिल हुए, तो उन्होंने कभी अपनी वापसी नहीं देखी.